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राजस्थान भाजपा में उभर रहा है नया नेतृत्व

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Jun 2, 2019

राजस्थान में भाजपा धीरे-धीरे नये नेतृत्व को आगे बढ़ा रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा हाल ही में अपनी दूसरी सरकार के लिये गठन किये      गये मंत्रीमंडल में इसकी झलक देखने को मिली। राजस्थान के तीन भाजपा नेताओं गजेन्द्र सिंह शेखावत, अर्जुनराम मेघवाल व कैलाश चौधरी को केन्द्र सरकार में मंत्री बनाया गया है। इनमें गजेन्द्र सिंह शेखावत व अर्जुनराम मेघवाल पूर्व में सांसद व केन्द्र सरकार में राज्यमंत्री रह चुके हैं वहीं कैलाश चौधरी को पहली बार में ही सांसद व मंत्री बनने का मौका मिला है। पिछली सरकार में कृषि राज्यमंत्री रहे गजेन्द्रसिंह शेखावत का प्रमोशन करते हुये उन्हे नये बने जल शक्ति मंत्रालय में केबीनेट मंत्री बनाया गया है वहीं अर्जुनराम मेघवाल को पूर्ववत संसदीय कार्य राज्यमंत्री ही बनाया गया है। पहली बार सांसद बने कैलाश चौधरी को कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाया गया है।

राजस्थान से केन्द्र सरकार में शामिल तीन मंत्री राजपूत, जाट व अनुसूचित जाति वर्ग के हैं। इन जातियो का प्रदेश के बोट बैंक में बहुत प्रभाव है। गजेन्द्रसिंह शेखावत ने जोधपुर सीट पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को 2 लाख 74 हजार 440 वोटो के भारी अंतर से हराया है। जबकि गहलोत ने अपने बेटे को जिताने के लिये जोधपुर में आठ मंत्री व तीन दर्जन विधायक तैनात कर रखे थे। गहलोत ने स्वंय जोधपुर लोकसभा क्षेत्र में करीबन 90 सभायें की थी। अपने पुत्र को जिताने के लिये कांग्रेस कार्यकर्ताओं की फौज के साथ गहलोत जोधपुर में आटोरिक्शा में बैठकर घर-घर घूम कर वोट मांगने निकल पड़े थे।

मुख्यमंत्री के बेटे को वोटो के बड़े अंतर से हराने के पुरस्कार में उन्हे मोदी की दूसरी सरकार में केबीनेट मंत्री बनाया गया है। 2014 के लोकसभा चुनाव में भी गजेन्द्र सिंह शेखावत ने जोधपुर राजपरिवार की बेटी व केन्द्र में केबीनेट मंत्री रही चंद्रेश कुमारी को हराया था। अर्जुनराम मेघवाल पूर्व में राज्यमंत्री थे। उनकी पिछली परफारमेंस ज्यादा बढिय़ा नहीं मानी गयी थी मगर जातिगत समीकरणों के चलते उनको दूसरी बार राज्य मंत्री ही बनाया गया है। मेघवाल से नाराज होकर बड़े राजपूत नेता देवीसिंह भाटी ने भी भाजपा से त्याग पत्र दे दिया था। पिछले दिनो उनका पुत्र भी विवादो में आया था।

बाडमेर से राज्य मंत्री बनाये गये कैलाश चौधरी युवा जाट नेता है। उन्होने कभी भाजपा के बड़े नेता रहे जसवंत सिंह के पुत्र मानवेन्द्र सिंह को 3लाख 23 हजार 808 वोटो हाराया है। मानवेन्द्र सिंह स्वंय भाजपा से विधायक व सांसद रह चुके हैं। 2018 के विधानसभा चुनावो से पूर्व उन्होने अपने पिता जसवंत सिंह का भाजपा में अपमान करने का आरोप लगाकर भाजपा से त्यागपत्र देकर कांग्रेस में शामिल हो गये थे। उन्होने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के सामने झालरापाटन से कांग्रेस टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ कर भारी मतो से हार गये थे। मानवेन्द्र सिंह को हराने के कारण कैलाश चौधरी को केन्द्र में राज्यमंत्री बनाया गया है।

राजस्थान में भाजपा की कमान प्राय राजपूत नेताओ के हाथ में ही रही है। पहले भैंरोसिंह शेखावत प्रदेश भाजपा में एकछत्र नेता होते थे। फिर वसुंधरा राजे को राजस्थान भेजा गया व दो बार मुख्यमंत्री बनकर वसुंधरा राजे प्रदेश की एकछत्र नेता बनी। मुख्यमंत्री के दूसरे कार्यकाल में कई मुद्दो को लेकर वसुंधरा राजे का राजस्थान में राजपूत समाज विरोध करने लगा था। वसुंधरा राजे के बढ़ते विरोध को कम करने के लिये भाजपा आलाकमान ने उनके साथ अन्य नेताओं को आगे लाने का प्रयास किया था। 2018 के विधानसभा चुनाव से पूर्व भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व ने केन्द्रीय राज्य मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बनाना चाहा मगर वसुंधरा राजे के द्वारा उनके नाम का डटकर विरोध करने पर केन्द्रीय संगठन को सर्वानुमति के नाम पर राज्यसभा सदस्य मदनलाल सैनी को प्रदेश अध्यक्ष बनाना पड़ा था।

2018 के विधानसभा चुनाव में हारने से वसुंधरा राजे की प्रदेश भाजपा में पकड़ कमजोर हुयी है। भाजपा आलाकमान ने वसुंधरा राजे को लोकसभा चुनाव में ज्यादा महत्व नहीं दिया। लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को राजस्थान का प्रभारी बना कर संगठन संबधित फैसले लेने को अधिकृत किया। दिसम्बर से ही जावड़ेकर लगातार जयपुर कार्यालय में ही सक्रिय रह कर पूरे प्रदेश के संगठन की कमान संभाली। जावड़ेकर ने ही वसुंधरा राजे के धुर विरोधी विधायक हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी को एनडीए में शामिल करवा कर उनको नागौर की सीट दी। फलस्वरूप हनुमान बेनीवाल सहित राजस्थान की सभी 25 सीट भाजपा व उसके सहयोगी के खाते में आयी।

प्रदेश भाजपा में नये नेतृत्व को बढ़ावा देने की श्रृंखला में राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ से जुड़े रहे गजेन्द्र सिंह शेखावत, कैलाश चौधरी को केन्द्र सरकार में मंत्री बनाना साफ संकेत है कि राजपूत व जाट जाति में युवा नेताओं को प्रथम कतार में लाया जा रहा है। 52 वर्ष के गजेन्द्र सिंह शेखावत, 45वर्ष के कैलाश चौधरी युवा होने के साथ अनुभवी भी है। प्रदेश की राजनीति में दोनो नेता लम्बी पारी खेल सकते हैं इसी सोच के साथ पार्टी आलाकमान इनको प्रोत्साहन दे रहा है।

राजस्थान का राजपूत समाज वसुंधरा राजे से नाराज है। 2018 के विधानसभा चुनाव में राजपूतो की नाराजगी वसुंधरा राजे सरकार की हार का एक बड़ा कारण रही थी। इसी को मध्यनजर रखते हुये भाजपा आलाकमान ने साफ व मिलनसार छवि के गजेन्द्र सिंह शेखावत को आगे किया है ताकि राजपूतो की नाराजगी कम की जा सके। राजस्थान भाजपा में जाट समाज में भी कोई प्रभावशाली नेता के नहीं होने के कारण भाजपा में कैलाश चौधरी को मंत्री बनाकर आगे बढ़ाया जा रहा है जो आगे चलकर जाट समाज का नेतृत्व कर सके। जहां गजेन्द्र सिंह शेखावत दूसरी बार, अर्जुनराम मेघवाल लगातार तीसरी बार बीकानेर से लोकसभा चुनाव जीत कर जीत की हैट्रिक बनायी हैं। वहीं कैलाश चौधरी 2013 से 2018 तक बायतू से विधायक रह चुके हैं।

राजस्थान से केन्द्र में मंत्री बनाये गये गजेन्द्र सिंह शेखावत, कैलाश चौधरी व अर्जुनराम मेघवाल सामान्य पृष्ठभूमि के परिवारो से आते हैं जो अपनी मेहनत व कार्य प्रणाली के बदौलत ही पार्टी में अपना स्थान बनाकर केन्द्र सरकार में मंत्री पद तक का सफर तय किया है। गजेन्द्र सिंह शेखावत व कैलाश चौधरी ने तो अपनी राजनीति की शुरूआत अखिल भारतीय विद्याथी परिषद की छात्र राजनीति से की थी। अर्जुनराम मेघवाल प्रशासनिक सेवा से राजनीति में आये हैं। राजस्थान में भाजपा नेतृत्व द्वारा जिस प्रकार युवाओं को आगे किया जा रहा है वो पार्टी में काम करने वाले युवाओं के लिये शुभ संकेत हैं।

आलेख:-

रमेश सर्राफ धमोरा

स्वतंत्र पत्रकार