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मशहूर शायर कैफ़ी आजमी का जन्मदिवस, उनकी याद में गूगल ने बदला अपना डूडल

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Jan 14, 2020

भोपालः आज मशहूर शायर कैफ़ी आजमी का जन्मदिवस है। ऐसे में आपको बता दें की उन्हें शायरी की दुनिया का ऐसा नाम माना जाता रहा हैं जिन्हें कोई भी न जला सकता है, न गिरा सकता है, न बना सकता है। आज उनकी याद में गूगल ने अपना डूडल तक बदल दिया है। आपको बता दें कैफ़ी आजमी की शायरी लोगों के रग रग में बसी हुई है। एक बार वह हैदराबाद के एक मुशायरे में हिस्सा लेने गए। मंच पर जाते ही अपनी मशहूर नज़्म 'औरत' सुनाने लगे।

उठ मेरी जान मेरे साथ ही चलना है तुझे,

क़द्र अब तक तेरी तारीख़ ने जानी ही नहीं,

तुझमें शोले भी हैं बस अश्क़ फिशानी ही नहीं,

तू हक़ीकत भी है दिलचस्प कहानी ही नहीं,

तेरी हस्ती भी है इक चीज़ जवानी ही नहीं,

अपनी तारीख़ का उन्वान बदलना है तुझे,

उठ मेरी जान मेरे साथ ही चलना है तुझे,"

उनकी यह नज़्म सुनकर श्रोताओं में बैठी एक लड़की नाराज हो गई और उसने कहा, "कैसा बदतमीज़ शायर है, वह 'उठ' कह रहा है। 'उठिए' नहीं कह सकता क्या? इसे तो अदब के बारे में कुछ नहीं आता। कौन इसके साथ उठकर जाने को तैयार होगा? "लेकिन जब कैफ़ी साहब ने अपनी पूरी नज्म सुनाई तो महफिल में बस वाहवाही और तालियों की आवाज सुनाई दे रही थी। इस नज़्म का असर यह हुआ कि बाद में वही लड़की जिसे कैफी साहाब के 'उठ मेरी जान' कहने से आपत्ति थी वह उनकी पत्नी शौक़त आज़मी बनी। जी हाँ, वहीँ कैफ़ी आज़मी ने 1951 में पहला गीत 'बुजदिल फ़िल्म' के लिए लिखा- 'रोते-रोते बदल गई रात' और उन्होंने अनेक फ़िल्मों में गीत लिखें जिनमें- 'काग़ज़ के फूल' 'हक़ीक़त', हिन्दुस्तान की क़सम', हंसते जख़्म 'आख़री ख़त' और हीर रांझा' शामिल रहे।

हुस्न और इश्क दोनों को रुस्वा करे वो जवानी जो खूं में नहाती नहीं

इसी के साथ 'हुस्न और इश्क दोनों को रुस्वा करे वो जवानी जो खूं में नहाती नहीं' कैफी आजमी की यह पंक्ति उनके जीवन की सबसे बड़ी पंक्ति है और इसी लाइन के आस-पास उन्होंने पूरा जीवन जिया है। आपको बता दें साल 1975 कैफ़ी आज़मी को आवारा सिज्दे पर साहित्य अकादमी पुरस्कार और सोवियत लैंड नेहरू अवार्ड से सम्मानित किये गये और साल 1970 सात हिन्दुस्तानी फ़िल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार मिला। वहीं इसके बाद 1975 गरम हवा फ़िल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ वार्ता फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार मिला और 10 मई 2002 को दिल का दौरा के कारण मुम्बई में उनका हुआ।