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सुभाष घई ने असफलता के कारण छोडा निर्देशन का काम: जन्मदिन विशेष

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Jan 24, 2018

बॉलीवुड में सुभाष घई को एक ऐसे फिल्मकार के तौर पर जाना जाता है जिन्होंने अपनी फिल्मों के जरिये राजकपूर के बाद दूसरे शो मैन के रूप में दर्शको के दिलों में खास पहचान बनायी है। आज उनका जन्मदिन है और इस अवसर पर उनके जीवन पर डालते है एक नजर— सुभाष घई का जन्म 24 जनवरी 1945 को नागपुर में हुआ। सुभाष घई बचपन के दिनों से हीं फिल्मो में काम करना चाहते थे। सुभाष घई ने फिल्म एंड टेलिविजन इंस्टीच्यूट ऑफ इंडिया में प्रशिक्षण लिया और अपने सपनो को पूरा करने के लिये मुंबई आ गये। **सुभाष घई के सपनों का दौर** सुभाष घई के सपनों का शुरूआती दौर था। सुभाष घई ने कुछ फिल्मों में अभिनय किया लेकिन बतौर अभिनेता अपनी पहचान बनाने में कामयाब नहीं हो सके, बतौर निर्दशक सुभाष घई ने अपने करियर की शुरूआत वर्ष 1976 में प्रदर्शित फिल्म कालीचरण से की। इस फिल्म में शत्रुघ्न सिन्हा की दोहरी भूमिका थी। फिल्म टिकट खिड़की पर ब्लॉकबस्टर साबित हुई। सुभाष घई ने एक बार फिर वर्ष 1978 में शत्रुघ्न सिन्हा को लेकर विश्वनाथ बनायी। इस फिल्म में शत्रुघ्न सिन्हा ने एक तेज तर्रार वकील की भूमिका निभायी थी। फिल्म टिकट खिड़की पर सुपरहिट साबित हुई। इस फिल्म में शत्रुध्न सिन्हा का बोला गया यह संवाद जली को आग कहते है बुझी को राख बनते है जिस राख से बारूद बने उसे विश्वनाथ कहते है दर्शको के बीच आज भी लोकप्रिय है। **सुपरहिट फिल्में** वर्ष 1980 में प्रदर्शित फिल्म कर्ज सुभाष घई के करियर की एक और सुपरहिट फिल्म साबित हुई। पुनर्जन्म पर आधारित इस फिल्म में ऋषि कपूर, टीना मुनीम, सिमी ग्रेवाल, प्राण, प्रेम नाथ और राज किरण ने मुख्य भूमिकाये निभायी थी। इस फिल्म में सिमी ग्रेवाल ने नेगेटिव किरदार निभाकर दर्शको को रोमांचित कर दिया था। कर्ज टिकट खिड़की पर सुपरहिट फिल्म साबित हुई। वर्ष 1982 में प्रदर्शित फिल्म विधाता सुभाष घई के करियर की महत्वपूर्ण फिल्मों में शुमार की जाती है। इस फिल्म के जरिये सुभाष घई ने अभिनय सम्राट दिलीप कुमार, शम्मी कपूर, संजीव कुमार और संजय दत्त जैसे मल्टी सितारों को एक साथ पेश किया। फिल्म ने सफलता के नये कीर्तिमान स्थापित किये। वर्ष 1982 में सुभाष घई ने अपनी प्रोडक्शन कंपनी मुक्ता आटर्स की स्थापना की जिसके बैनर तले उन्होंने वर्ष 1983 में प्रदर्शित फिल्म हीरो का निर्माण-निर्देशन किया। इस फिल्म के जरिये सुभाष घई ने फिल्म इंडस्ट्री को जैकी श्राफ और मीनाक्षी शेषाद्री के रूप में नया सुपरस्टार दिया। **सर्वश्रेष्ठ फिल्म निर्देशक का फिल्म फेयर पुरस्कार** वर्ष 1991 में सुभाष घई ने दिलीप कुमार और राजकुमार को लेकर अपनी महात्वाकांक्षी फिल्म सौदागर का निर्माण किया। दिलीप कुमार और राजकुमार वर्ष 1959 मे प्रदर्शित फिल्म पैगाम के बाद दूसरी बार एक दूसरे के आमने सामने थे। सौदागर में अभिनय की दुनिया के इन दोनों महारथियों का टकराव देखने लायक था। इस फिल्म के लिये सुभाष घई को सर्वश्रेष्ठ फिल्म निर्देशक का फिल्म फेयर पुरस्कार दिया गया इसके बाद सुभाष घई ने वर्ष 1993 में संजय दत्त को लेकर खलनायक, वर्ष 1997 में शाहरूख खान को लेकर परदेस और वर्ष 1999 में ऐश्वर्या राय को लेकर ताल जैसी सुपरहिट फिल्मों का निर्माण किया। परदेस के जरिये सुभाष घई ने महिमा चौधरी को फिल्म इंडस्ट्री में लांच किया। **असफलता का दौर** वर्ष 2008 में प्रदर्शित फिल्म युवराज की असफलता के बाद सुभाष घई ने फिल्मों का निर्देशन करना बंद कर दिया। सुभाष घई ने पिछले वर्ष प्रदर्शित फिल्म कांची के जरिये बतौर निर्देशक कमबैक किया लेकिन यह फिल्म टिकट खिड़की पर सफल नहीं हुई।