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आखिर कैसे एक गिलहरी ने रोक दिया, बाहुबली गणेश जी का विसर्जन

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Sep 6, 2017

इंदौर : एक गिलहरी......दस दिन में हो गई अनेक गिलहरियां... जी हां गणेश भगवान की मूर्ति के विराजमान होने के बाद एक गिलहरी ने अपने बच्चों को भगवान की सूंड में जन्म दे दिया। अपने बच्चों को जन्म देने के लिए गिलहरी को इससे सुरक्षित जगह और कही नहीं दिखी।

कृष्णपुरा छतरी के पास विराजे बाहुबली गणेश जी के विसर्जन की जब बारी आई, तो लोगों ने नन्ही गिलहरियों का आसरा भगवान गणेश की सूंड में देखा, तो उन्होंने विसर्जन रोक दिया। 10 दिवसीय गणेशोत्सव अनंत चतुर्दशी पर समाप्त हो गया।

हर जगह पर विराजित गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन भी कर दिया गया, लेकिन इंदौर के कृष्णपुरा छत्री के पास विराजे बाहुबली गणेश का विसर्जन इस दौरान नहीं हो सका। इसकी वजह बनी हैं एक गिलहरी। जिसने गणेश प्रतिमा की सूंड में घोसला बनाकर बच्चों को जन्म दे दिया।

पंडाल में मंगलवार शाम ढोल-ताशों के बीच जब विसर्जन का समय आया, तब तक बप्पा के सूंड रूपी गर्भ में नन्हीं-नन्हीं गिलहरियां जीवन पा चुकी थीं। आयोजक असमंजस में रहे कि मुहूर्त में विसर्जन करें या नन्हें जीवों को बचाएं। आखिर नन्हीं गिलहरियों के लिए बप्पा विसर्जित नहीं हुए।

अब गिलहरियों को सुरक्षित आसरा देकर ही बाहुबली विदा होंगे। कृष्णपुरा छत्री के पास श्री योगीबाबा बमबमनाथ सेवा समिति द्वारा बीते कई वर्षों से गणपति की स्थापना की जा रही हैं। इस वर्ष श्यामवर्णीय मूर्ति के रूप में लंबोदर विराजे। भक्तों ने नाम दिया बाहुबली गणेश।

रोजाना पूजन-अर्चन और धूप-दीप के बावजूद भी गिलहरी ने मूर्ति की सूंड में घर बनाकर बच्चे दे दिए। मंगलवार को पूजा के बाद जैसे ही समिति के सदस्य मूर्ति को विसर्जन के लिए उठाने आगे बढ़े, तो सूंड के पास गिलहरी दिखाई दी। भीतर से छोटे-छोटे बच्चों की आवाज भी आ रही थी, इस पर सभी रुक गए।

काफी देर विचार के बाद तय किया कि यदि विसर्जन किया तो गिलहरियां भी पानी में बह जाएंगी। ऐसे में अब आयोजकों का मानना हैं कि जब गिलहरी के बच्चे आहार लेने की स्थिति में आ जाएंगे, तब गणेश प्रतिमा का विसर्जन किया जाएगा। अनुमान लगाया जा रहा हैं कि 8-10 दिनों बाद लंबोदर का विसर्जन किया जाएगा।