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ग्वालियर के कालीन बुनकरों को नहीं मिल रही मजदूरी

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Oct 15, 2017

ग्वालियर : आलीशान कालीनों के हुनरमंद बुनकरों के हाथ से बनी कालीन देश-विदेशों में भले ही फेमश हो, लेकिन इन बुनकरों की मेहनत का मिलने वाला फायदा बिचोलिए खा जाते हैं। जिसके चलते बुनकर भूखे मरने  और काम  बंद करने की कगार पर है।

ग्वालियर शहर के इस्लामपुरा,रामाजी का पुरा और शंकरपुर की तंग गलियों में बारहमास एक दम नर्म कालीन बनाई जाती है।आश्चर्य  की बात है कि आलीशान महलो में बिछाई जाने वाली इन कालीनों के फनकार पहाड़ियों जैसी बस्तियों में बसे हुए है। झुकी कमर,पिचके गाल,कमजोर आंखे और उंगलियों में पड़ रही ठेठ ये बुनकरों की पहचान नजर आती है। बच्चे हो या बूढे मर्द हो या औरत सभी श्रम की मार से टूट हुए है। लेकिन हुनर काम क्या करें क्योकि  कालीन बनाना मानों उनके लिए धर्म या इबादत बना हुआ है। इन बस्तियों में 300 परिवार कालीन बनाने मे जुटे हुए है।

22 करोड़ की योजना विभाग ने अंचल के कालीन कारोबारियों को व्यापार का उचित प्लेटफार्म उपलब्ध कराने के लिए लगभग 2.5 हेक्टर में कालीन पार्क बनाने की योजना वर्ष 2011-12 में तैयार की गई थी। इस योजना में शुरूआत में 10 लाख रुपए भी खर्च किए गए, लेकिन कुल 22 करोड़ रुपए की इस योजना की पहली किस्त देरी से मिलने की वजह से यह प्रोजेक्ट काफी समय से अटका हुआ था। अभी कुछ समय पहले ही 1 करोड रुपए की राशि स्वीकृत की गई थी। अधिकारियों के मुताबिक इस पार्क में अंचल के 1500 करीगरों को लाभ मिलने वाला है। विभाग के अधिकारी इसके लिए सर्वे कर चुके है। सर्वे के दौरान कुल 4500 लोगों का सर्वे हुआ है, इनमें से 500 लोगों का फाइनल चयन किया गया है। - डी.सी. तिवारी, मैनेजर मप्र हस्तशिल्प एवं हथकरघा विकास निगम

प्लानिंग के चक्कर में लटकी हुई कालीन पार्क की योजना में अब तेजी आने लगी हैं। कालीन कारीगरों के लिए बनाई गई इस योजना की डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपार्ट) तैयार हो चुकी है और पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा इसका नख्शा भी तैयार किया जा चुक है जो कि 1 अगस्त को विभाग के अधिकारियों को इसे सौप दिया जाएगा। साथ ही बुनकरो का फायदा चुराने वाले बिचौलियों से निजात मिलेगी और सीधा फायदा बुनकरों को मिलेगा। - ग्वालियर से एक्सप्रेस रिपोर्टर विनोद शर्मा