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ग्वालियर में बड़े पैमाने पर बिजली चोरी, विद्युतिकरण के लिए 19 करोड़ रूपये की आवश्यकता

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Jan 9, 2020

विनोद शर्मा : कॉलोनियों में विद्युतीकरण के लिए पेश जनहित याचिका पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच को दिए जवाब में बिजली कंपनी ने कहा है कि शासन एवं जनप्रतिनिधियों से सहयोग न मिलने के कारण ग्वालियर शहर की चारों विधानसभाओं में विद्युतीकरण से बची कॉलोनियों में विद्युतीकरण नहीं हो सका है। इसके लिए जो राशि चाहिए थी, उसका एक प्रतिशत भी नहीं मिल सका है। 

बिजली कंपनी ने प्रस्तुत की प्रतिपालन रिपोर्ट
बता दें कि, बिजली कंपनी द्वारा प्रस्तुत प्रतिपालन रिपोर्ट में कहा गया है कि, न्यायालय के निर्देश पर कंपनी ने तीन संभाग में उपभोक्ताओं से विद्युतीकरण हेतु राशि लेने के लिए शिविर भी लगाए थे। जिसमें पूर्व संभाग से 7.58 करोड़ रुपए प्राप्त होने की उम्मीद के विपरीत मात्र 7 लाख 44 हजार रुपए प्राप्त हुए। दक्षिण संभाग में छह करोड़ के स्थान पर मात्र 12 हजार रुपए ही प्राप्त हुए। पूर्व संभाग में 4.74 करोड़ रुपए मिलना अपेक्षित था, लेकिन 4 लाख 41 हजार रुपए ही प्राप्त हुए। इस प्रकार 18 करोड़ 32 लाख रुपए की आवश्यकता के विपरीत मात्र 11 लाख 97 हजार रुपए ही बिजली कंपनी को प्राप्त हुए। 

शहर में बड़े पैमाने पर हो रही बिजली चोरी
इसके साथ ही बिजली कंपनी ने कहा है कि ग्वालियर शहर में बड़े पैमाने पर बिजली चोरी हो रही है। यहां कृषि भूमि पर बिना निगम व टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के कॉलोनियों के निर्माण की प्रवृत्ति बन गई है। अवैध कॉलोनियों में बिजली की आपूर्ति के लिए कोई व्यवस्था कॉलोनाइजर्स ने नहीं की है। शहर के विकसित हो रहे क्षेत्र में लोग कॉलोनी के पास लगे ट्रांसफॉमर्स से सीधे तार डालकर बिजली ले रहे हैं। विद्युतीकरण के लिए जो शुल्क तय किया गया है वह भी कॉलोनाइजर्स भुगतान नहीं कर रहे हैं। 78 अवैध कॉलोनियों में विद्युतिकरण के लिए 19 करोड़ रूपये की आवश्यकता है। 

ग्वालियर हाईकोर्ट ने बिजली कंपनी को दिए आदेश
दरअसल ग्वालियर हाईकोर्ट ने 30 सितंबर-2019 को महेन्द्र सिंह भदौरिया द्वारा एडवोकेट अवधेश सिंह तोमर के माध्यम से प्रस्तुत जनहित याचिका पर बिजली कंपनी को आदेश दिए थे कि कंपनी योजना बनाकर कॉलोनियों का विद्युतीकरण करे। बिजली कंपनी को छह माह में इसकी रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए थे। न्यायालय ने इस मामले में बिजली कंपनी के अधिकारी व कर्मचारियों की मिलीभगत की निंदा करते हुए कहा था कि हम मानव के जीवन को संकट में नहीं डाल सकते हैं। इसके लिए शासन व जनप्रतिनिधियों की निधि से राशि जुटाने के निर्देश भी कंपनी को दिए थे।