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भोपालः धार्मिक आस्था स्थलों का जीर्णोद्धार, महाकाल-महेश्वर के साथ ओंकारेश्वर विकास योजना को भी मिली मंजूरी

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Jan 9, 2020

मध्यप्रदेश में राज्य सरकार ने आध्यात्म के शाश्वत सत्य को जन-मानस में संचारित करने के लिये वर्ष 2019 में आध्यात्म विभाग का गठन किया था। यह तो हम सभी जानते हैं कि आध्यात्म वास्तव में मनुष्य में विकास की लालसा को गति प्रदान करने का सशक्त माध्यम है। मध्यप्रदेश, भारतीय संस्कृति की अमिट धरोहरों से परिपूर्ण एवं समृद्ध राज्य है। यहाँ देश के 12 ज्योतिर्लिंग में से दो ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर और ओंकारेश्वर प्रतिष्ठापित हैं। राज्य सरकार ने दोनों ज्योर्तिलिंग को विश्व पर्यटन केन्द्र के स्वरूप में विकसित करने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री कमल नाथ ने ओंकार सर्किट योजना में महाकाल-महेश्वर के साथ ओंकारेश्वर विकास योजना को भी मंजूरी दी है। प्रदेश में धर्मस्व, धार्मिक न्यास और आनंद विभाग के बिखरे स्वरूप को आध्यात्म विभाग में समाहित कर प्रदेशवासियों को भारतीय संस्कृति से जोड़े रखने की अहम शुरूआत पिछले वर्ष ही प्रदेश में हो गई थी। विश्व प्रसिद्ध मध्यप्रदेश के भगवान महाकाल मंदिर के विकास और विस्तार की 300 करोड़ की योजना पर काम शुरू हो गया है। योजना के कामों की निगरानी के लिये मंत्री-मण्डल की तीन सदस्यीय समिति गठित की गई है। योजना को समय-सीमा में पूरा कराने की जिम्मेदारी मुख्य सचिव को सौंपी गई है। 

रामपथ गमन विकास के लिये 22 करोड़ से अधिक मंजूर

राज्य सरकार ने रामपथ गमन विकास योजना को भी अंतिम रूप दिया है। योजना को सरकार की प्राथमिकता में शामिल किया गया है। इसके लिये 22 करोड़ 9 लाख 32 हजार रुपये की राशि आध्यात्म विभाग को जारी कर दी गई है। रामपथ गमन मार्ग में सतना, पन्ना, कटनी, उमरिया, शहडोल और अनूपपुर जिले आते हैं। इसमें चित्रकूट के 16 तीर्थ आते हैं। ऐसा विश्वास किया जाता है कि भगवान राम ने सीताजी और लक्ष्मण के साथ अपने वनवास के 14 वर्षों में से 11 वर्ष चित्रकूट में ही बिताए थे। इसी स्थान पर ऋषि अत्रि और सती अनुसुइया ने ध्यान लगाया था। ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने चित्रकूट में ही सती अनुसुइया के घर जन्म लिया था।

राज्य सरकार ने इस मार्ग पर तीर्थ-स्थलों के जीर्णोद्धार, संरक्षण, विकास एवं जन-सुविधाएँ, भीड़ प्रबंधन, सुरक्षा व्यवस्था, मेले, उत्सव एवं आध्यात्मिक कार्यक्रम की योजना बनाई है। रामपथ के बीच पड़ने वाली समस्त नदी, झरने एवं जल-स्रोत को प्रदूषण-मुक्त करना तथा छायादार पौधा-रोपण की कार्य-योजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है।

मंदिरों, मठों, देव-स्थानों और नदियों का संरक्षण

राज्य सरकार ने मंदिरों, मठों, देव-स्थानों और पवित्र नदियों के संरक्षण के लिये समितियों और न्यासों का गठन किया। माँ नर्मदा, क्षिप्रा, मंदाकिनी और ताप्ती के संरक्षण एवं संवर्धन के लिये न्यास का गठन किया गया। इसी तरह, प्रदेश के मठ-मंदिरों के सुचारु संचालन के लिये सलाहकार समिति गठित की गई। शासन संधारित मंदिरों/देव-स्थानों के पुजारियों की नियुक्ति के लिये अर्हताएँ, नियुक्ति की प्रक्रिया, कर्त्तव्य, दायित्व, पुजारी की पदच्युति तथा पुजारी पद रिक्त होने पर व्यवस्था के संबंध में नियम बनाये गये। साथ ही, शारदा माता, गणपति खजराना, रामराजा ओरछा एवं ओंकारेश्वर ट्रस्ट के प्रस्ताव/प्रारूप तैयार किये गये।

प्रमुख तीर्थ-स्थानों पर सुविधाओं का विस्तार

प्रदेश के प्रमुख तीर्थ ओरछा और बगुलामुखी माता मंदिर नलखेड़ा में तीर्थ-यात्रियों की सुविधा के लिये पौने दो करोड़ से ज्यादा की लागत से सेवा सदन बनवाये जा रहे हैं। नर्मदा परिक्रमा पथ पर यात्रियों की सुविधा के लिये 186 लाख की लागत से तीर्थ-यात्री सेवा सदन का निर्माण कराया जा रहा है। माता मंदिर, रतनगढ़ के विकास की करीब 5 करोड़ की समग्र कार्य-योजना में प्रथम किश्त 80 लाख जारी की गई। करीला माता मंदिर में निर्माणाधीन तीर्थ-यात्री सेवा सदन में वॉटर हॉर्वेस्टिंग, नक्षत्र वाटिका, जैविक खाद, पर्यावरण सुरक्षा तथा विद्युत, ऊर्जा, जल-संरक्षण एवं पर्यावरण संवर्धन को आध्यात्मिक परम्परा से जोड़ते हुए नक्षत्र वाटिका तैयार की जा रही है।