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विदिशाः यहां रावण जलाये नहीं जाते बल्कि होती है उनकी विशेष पूजा

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Oct 7, 2019

दीपेश शाह - असत्य पर सत्य की विजय पर्व दशहरा पर्व पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। वहीं एक और मध्यप्रदेश के विदिशा जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर रावण गॉव है। इस गांव में एक प्राचीन मंदिर है जो रावण बाबा का है। इस मंदिर में रावण बाबा की 6 फीट लेटी हुई अवस्था में प्रतिमा है। जिसे देखने से एक अनोखा अनुभव होता है, मन मोहित हो जाता है। यह बहुत प्राचीन मंदिर है।

मंदिर का है बहुत ही अनोखा इतिहास 

पुराने बुजुर्ग लोग इस मंदिर का बहुत ही अनोखा इतिहास  बताते हैं। उनके अनुसार, रावण बाबा के मंदिर से उत्तर दिशा में, 3 किलोमीटर की दूरी पर  एक बूदे की पहाड़ी है, जिसमें प्राचीन काल में बुद्धा नामक एक राक्षस रहा करता था। जो रावण बाबा से युद्ध करने की बहुत इच्छा रखता था, परंतु वह जब लंका तक पहुंचता और लंका की चकाचौंध देखता तो उसका क्रोध शांत हो जाता था। एक दिन रावण बाबा ने इस राक्षस से पूछा कि तुम दरबार में क्यों आते हो और हर बार बिना कुछ बताये चले जाते हो। तब बुद्धा राक्षस ने कहा कि महाराज में हर बार आप से युद्ध की इच्छा लेकर आता हूँ परन्तु यहाँ आपको देख कर मेरा क्रोध शांत हो जाता है। तब रावण बाबा ने कहा कि तुम वहीं मेरी एक प्रतिमा बना लेना और उसी से युद्ध करना। तब से यह प्रतिमा वहीं पर रखी हुई है और राक्षस का अंत उसी प्रतिमा से हुआ है।

किसी भी शुभ काम से पहले यहाँ रावण बाबा को पूजा जाता है

लोगों ने उस प्रतिमा की महिमा को देखते हुए वहाँ मंदिर बना दिया। जिस मंदिर को महिमा लोग बताते है, इस ग्राम का नाम भी इसी मंदिर से पड़ा और जब भी यहां कोई हवन, पूजन या बड़ा पर्व मनाया जाता है तो पहले यहाँ रावण बाबा को पूजा जाता है। गांव में जब कोई शादी या कोई भी समारोह किया जाता है तो रावण बाबा की नाभि में तेल भर कर शुभारम्भ किया जाता है। लोग हर शुभारम्भ में रावण बाबा की पूजा अर्चना कर निश्चिंत हो जाते हैं।

मंदिर से सटा हुआ है एक चमत्कारी तालाब

मंदिर से सटा हुआ एक तालाब भी है, जिसकी भी अनोखी महिमा है। तालाब में रावण बाबा की एक प्राचीन पत्थर की  तलवार है और लोग उस तालाब के पानी को गंगा के समान पवित्र मानते हैं, और  चरणामृत के समान जल को पीकर तरह-तरह की बीमारियों से निजात पाते हैं। जब तालाब का पानी खत्म हो जाता है तो फिर तालाब की मिट्टी से सर धो कर नहाते हैं  और किसी भी प्रकार के चर्म रोग से निजात पाते हैं। लोगों की मंदिर के एवं तालाब के प्रति इस प्रकार आस्था जुड़ी है कि गांव में जब भी कोई वाहन खरीदता है तो उस पर रावण बाबा का नाम जरूर लिखवाते हैं और जब मंदिर के समीप से निकलते हैं तो गाड़ी का या किसी भी प्रकार के वाहन का हॉर्न बजा कर या बाबा को प्रणाम करते हुए जाते हैं। यहां तक कि लोग अपने शरीर पर भी रावण बाबा की जय लिखवाते हैं। जहाँ  पूरे देश रावण दहन कर दशहरा पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है,  परंतु  इस गांव में रावण दहन का शोक मनाया जाता है और रावण बाबा को खुश करने और मनाने के लिए विशेष पूजा की जाती है।