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ड्रग टैस्टिंग लैब खोलने की कवायद में लगे 13 साल, अब भी लैब का काम ठप

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Dec 19, 2018

धर्मेन्द्र शर्मा - ग्वालियर के आयुर्वेद कॉलेज में प्रदेश की एकमात्र ड्रग टैस्टिंग लैब खोलने की कवायद सन्‌ 2004-05 में शुरू हुई थी इसके लिए करोड़ों की मशीनों की खरीद तो हो गई, लेकिन लैब टेक्नीशियन की भर्ती में 13 साल लग गए इतने समय बाद लैब शुरू करने की कवायद शुरू की गई है हालांकि अब भी अन्य स्टाफ की भर्ती पूरी नहीं हो सकी है, जिसके कारण लैब का काम अटका हुआ है। प्रदेश की पहली ड्रग टैस्टिंग लैब आमखो स्थित आयुर्वेद कॉलेज में शुरू होना थी। इसके लिए करीब एक करोड़ की लागत से मशीनें खरीदी गई थीं। प्रोजेक्ट काफी बड़ा था, इसके लिए टेक्नीशियन सहित अन्य स्टाफ की भी भर्ती होना थी।

मशीनों को खरीदकर कमरों में किया बंद

दिलचस्प बात ये है कि मशीनों को खरीदकर कमरों में बंद कर दिया गया और स्टाफ की भर्ती पर शासन ने चुप्पी साध ली है। नतीजा करीब 13 साल तक यह प्रोजेक्ट केवल कागजों में ही चलता रहा टेक्नीशियन की भर्ती नहीं होने से लैब को शुरू नहीं किया जा सका अब 2018 मे एक बार फिर ड्रग टैस्टिंग लैब का प्रोजेक्ट अलमारी से बाहर आया और सबसे पहले टेक्नीशियन की भर्ती कर दी गई है। पिछले दिनों आयुष विभाग की डिप्टी डायरेक्टर ने भी ड्रग टैस्टिंग लैब का निरीक्षण कर जल्द चालू करने के निर्देश दिए थे।

स्टाफ पूरा नहीं होने के कारण मामला अटका

लैब के लिए पीएससी के माध्यम से मेडिकल स्टाफ की भर्ती होना है इसके अलावा छोटे-छोटे कुछ उपकरण एवं रेनोवेशन का काम भी होना है इसमें रेनोवेशन एवं भर्ती प्रक्रिया के लिए स्वीकृति मिल गई है जल्द ही लैब में काम शुरू होने की संभावना जताई गई है। ड्रग टैस्टिंग लैब में किन दवाओं की जांच होगी, इसको लेकर भी अब तक कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं हुए हैं। ऐसे में कॉलेज प्रबंधन भी अब तक केवल कयास ही लगा रहा है। क्योंकि आयुर्वेद अस्पताल की फार्मेसी में तैयार दवाओं की जांच होना है या अन्य फार्मेसी की दवाओं का परीक्षण होगा, इसे लेकर कोई गाइडलाइन जारी नहीं हुई है।