Loading...
अभी-अभी:

जिले में छह साल में 16 फर्जी झोलाछाप डॉक्टरों के खुले क्लीनिक, कई मरीजों की मौत

image

Aug 8, 2018

विनोद शर्मा : जहां आसानी से शिकार मिल जाए, वहीं नीम हकीम अपना क्लीनिक खोल लेते हैं ये चौकानें वाला सच मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले का है। जहां जिले में छह साल में 16 फर्जी और झोलाछाप डॉक्टरों की क्लीनिक खुल गई। इन सालों में फर्जी डॉक्टर्स के इलाज से कई जान चली गईं। अगर आंकड़ो पर नजर डाले तो बीते छह महीने में छोलाझाप डॉक्टरों की गलती से एक दर्जन से ज्यादा लोग ग्वालियर जिले में मौत के काल में समा चुके है। जिस पर स्वास्थ विभाग की खमोशी बनी हुई है।

स्वास्थ्य विभाग के डाटा के मुताबिक
ग्वालियर जिला, छोलाझाप डॉक्टरों की संख्या तीन हजार, छह महीने में एक दर्जन से ज्यादा मरीजों को ओवर डोज देने से मौते। ये कागजी लेखा-जोखा स्वास्थ विभाग का है। जिसे डाटा के रूप में इकट्टा तो किया जा रहा है लेकिन इन मौतों ओर छोलाझाप पर आंकुश कैसे लगाया जाए इस पर ध्यान नही है। चलिए बीते महीनों की तस्वीरों को ही देख लीजिए। जिसमें मरीजों को अपनी जान इसलिए गंवाना पड़ी है, क्योंकि उनका इलाज छोलाझाप डॉक्टरों ने कर दिया है। जिस पर स्वास्थ्य क्षेत्र में काम करने वाले सोशल एक्टिविस्टों का मानना है कि ये सब स्वास्थ विभाग की लापरवाही से हो रहा है क्योंकि विभाग जिस दिन अवैध क्लीनिक पर कार्रवाई के दौरान सील करता है, वह अगले दिन खुली मिलती है।

सोशल एक्टिविस्ट का क्या है कहना
हरप्रीत कौर, सोशल एक्टिविस्ट का कहना है कि लगातार छोलाझाप डॉक्टरों की वजह से मौते होती जा रही है, लेकिन इस और स्वास्थ्य विभाग का ध्यान नही है स्वास्थ्य विभाग कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर रहा है।

·स्वास्थ्य विभाग के नियमों के मुताबिक अवैध रूप से क्लीनिक चलाने पर मप्र उपचार गृह तथा रोगोपचार संबंधी स्थापनाएं, रजिस्ट्रीकरण तथा अनुज्ञापन अधिनियम के तहत आरोप को तीन माह की सजा का प्रावधान है।

·बिना रजिस्ट्रेशन के क्लीनिक चलाने वाले के खिलाफ 420 का मामला भी दर्ज होना चाहिए।

·नीम हकीम से किसी मरीज की मौत हो जाती है, तो क्लीनिक संचालक पर धारा 304 के तहत मामला भी दर्ज होना चाहिए।  

झोलाझाप डॉक्टरों की संख्या में लगातार इजाफा
झोलाझाप डॉक्टरों का आंतक यही तक सीमित नही है बल्कि इनकी संख्या में अब तेजी से इजाफा भी हो रहा है। स्वास्थ विभाग के आंकडों पर नजर डाले तो जिले में छह साल में 16 गुना फर्जी और झोलाछाप डॉक्टरों की क्लीनिक खुल गई। जो आंकड़ा 2011 में 180 अवैध क्लीनिक चिह्नित किए गए थे। जब से अब तक इनकी संख्या करीब 3000 पहुंच गई है। इनमें अधिकांश क्लीनिक तो एेसे हैं, जिनके नाम पते तक मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के पास नहीं हैं। एेसे में इनके खिलाफ कार्रवाई करने की बात महज औपचारिकता है। बावजूद इसके सीएमएचओ साहब कार्रवाई का दवा कर रहे है लेकिन हकीकत में ऐसा कुछ नही हो रहा है।

फर्जी डॉक्टर पंजीकृत डॉक्टर्स के नाम बोर्ड पर लिखकर चला रहे क्लीनिक
स्वास्थ्य विभाग की पूर्व में की गयी कार्रवाई पर नजर डाले तो कुछ इस तरह के मामले में भी समाने आये है जिसमें  चला रहे हैं। इसकी आड़ में वे क्लीनिक पर न केवल माइनर ऑपरेशन बल्कि छोटे बच्चों के इलाज भी करते हैं। बीते फरवरी महीने में थाटीपुर क्षेत्र में कार्रवाई के दौरान इस तरह के मामले सामने आ चुके हैं। एमबीबीएस डॉक्टर के यहां कम्पाउंडरी करने के बाद क्लीनिक खोलकर उनके नाम का इस्तेमाल करते फर्जी डॉक्टर पकड़े जा चुके हैं। इसके बाद भी सीएमएचओ ने सख्त एक्शन नहीं लिया।