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20 लाख EVM गायब होने के मामले ने पकड़ा तूल, रिव्यू पिटीसन डबल बेंच में दायर

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Jun 25, 2019

विनोद शर्मा : 20 लाख EVM गायब होने का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर में इस संबध एक रिव्यू पिटीसन डबल बेंच में दायर कर दी गयी है। जिस पर सुनवाई अब एक दो दिन में हो सकती है। रिव्यू पिटीसन 20 लाख EVM गायब होने के मामले में केंद्र के वरिष्ठ अधिकारी या फिर सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट के रिटायर न्यायाधीशों से जांच की मांग की है। 

दरअसल रिव्यू पिटीसन में मांग की गयी है कि कि ईवीएम मशीनें गायब होने के मामले में मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ फौजदारी यानि की आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाएं। साथ ही ईवीएम की राशि वसूली जाएं। इस संबंध में 22 मई को हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में एक जनहित याचिका सीनियर एडवोकेट उमेश बोहरे ने कई आहम दस्तावेजों के साथ जनहित पेश की थी। उमेश बोहरे ने इस याचिका में मुख्य चुनाव आयुक्त सहित 14 लोगों को बनाया पार्टी था। जिसमें निर्वाचन आधिकारी, कलेक्टर ग्वालियर, कलेक्टर मुरैना, कलेक्टर भिंड, कलेक्टर गुना को भी बनाया पार्टी था। याचिका में कहा गया था कि गायब हुई ईवीएम का उपयोग देश के अलग-अलग हिस्सों के साथ- साथ ग्वालियर चंबल संभाग में लोकसभा चुनाव में किया गया है। बहरहाल अब ईवीएम की जनहित याचिका पर सुनवाई हो गयी है, लेकिन कोर्ट ने 27 मई को कहा था कि पिटीसनर चुनाव आयोग के समाने तथ्य पेश करें। लेकिन पिटीसनर ने इस मामले में रिव्यू पिटीसन दायर की है, जिसमें कहा है कि उनका आरोप चुनाव आयोग पर है। ऐसे में वो उनकी बात को कैसे सुन सकते है। 

आपको बता दें कि मुंबई के आरटीआई एक्टिविस्ट मनोरंजन रॉय ने 27 मार्च 2018 को बॉम्बे हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी। इस याचिका में उन्होंने ईवीएम की खरीद, स्टोरेज और डिलीवरी में शामिल प्रक्रियाओं के बारे में जानना चाहा था। इसके लिए हाई कोर्ट से मांग की गई थी कि डाटा उपलब्ध कराने के लिए वह संबंधित संस्थाओं को आदेश दे। इसी क्रम में मिले डाटा में यह जानकारी सामने आई है कि ईवीएम निर्माताओं ने जो मशीनें चुनाव आयोग को भेजने के लिए तैयार कीं, उनमें से 20 लाख ईवीएम चुनाव आयोग के कब्जे में नहीं पहुंची हैं। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है।