Jan 6, 2017
भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में सड़क हादसे रूकने का नाम नहीं ले रही हैं। प्रदेश की सरकार चेकिंग अभियान चलाकर वाहनों पर कार्रवाई के जरिए हादसों में कमी लाने के कई प्रयास कर रही है। लेकिन सरकार सड़क हादसों को रोकने में फेल ही साबित होती है। मध्यप्रदेश के गृह एवं परिवहन मंत्री भूपेंद्र सिंह के निर्देश पर एक जनवरी से पूरे प्रदेश में वाहनों के लिए विशेष चेकिंग अभियान चलाया जा रहा है। ये अभियान आम जनता की सुरक्षा को लेकर बताया जा रहा है। लेकिन एनसीआरबी की ताजा रिपोर्ट की मानें, तो सरकार का ये अभियान सड़क हादसों को रोकने में नाकाम साबित हो रहा है।
हाल ही में एनसीआरबी ने ट्रैफिक एक्सीडेंट से जुड़े ताजा आंकड़े जारी किए हैं. ये आंकड़े साल 2015 पर आधारित है.
-मध्य प्रदेश में हर रोज 112 सड़क हादसे.
-हादसों में हर रोज जा रही 27 लोगों की जान
-सड़क हादसों के मामले में चौथे नंबर पर मध्य प्रदेश
आंकड़ों के अनुसार सड़क हादसों के मामले में मध्यप्रदेश चौथे पायदान पर है. पहले पायदान पर तमिलनाडू है.
-तमिलनाडू में 2014 में 67250 सड़क हादसे हुए, जबकि 2015 में ये ग्राफ बढ़कर 69059 हो गया.
-कर्नाटक दूसरे नंबर पर है, यहां पर 2014 में 43694, तो 2015 में 44011 हादसे हुए.
-तीसरे नंबर पर महाराष्ट्र है, यहां भी 2014 में 44382, तो 2015 में 42250 हादसे हुए.
-देश में सड़क हादसों के मामले में मध्यप्रदेश चौथे पायदान पर है.
-मध्यप्रदेश में 2014 में 39698, तो 2015 में ये ग्राफ बढ़कर 40859 पहुंच गया.
-पांचवे नंबर पर केरल है, यहां पर 2014 में 35872, तो 2015 में 39014 सड़क हादसे हुए।
मध्यप्रदेश सरकार हर साल वाहन चेकिंग के नाम पर करोड़ों रुपए वसूलती है. इस साल भी गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह के निर्देश पर एक जनवरी से विशेष वाहन चेकिंग अभियान चल रहा है.
गृह और परिवहन विभाग का संयुक्त अभियान 15 जनवरी तक चलेगा. अभियान के चार दिनों में सरकारी खजाने में 50 लाख रुपए से ज्यादा की राशि पहुंची है. लेकिन हादसों पर अंकुश लगाने की बात की जाए, तो सरकार के कदम सिर्फ चेकिंग अभियान तक सिमट जाते हैं।