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भोपाल गैस हादसे के 32 साल बाद आई याद, अब ऐसे होगा पीडि़तों का इलाज

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Dec 2, 2016

भोपाल। गैस त्रासदी के 32 साल बाद उस हादसे के पीडि़तों में लंबे समय से बनी हुई श्वसन और किडनी संबंधी बीमारियों की फिर से स्टडी की जाएगी। अब अत्याधुनिक उपकरणों से इनके फेफड़ों और किडनी की अंदरूनी महीन नलिकाओं की भी जांच होगी। इसमें देखा जाएगा कि मिथाइल आइसो सायनेट गैस से इन नलिकाओं में क्या बदलाव हुआ है, जिससे उनकी बीमारियां ठीक नहीं हो रही हैं। इसके डाटा के आधार पर क्रॉनिक श्वसन और किडनी संबंधी बीमारियों से पीडि़तों के स्वास्थ्य और पुनर्वास के लिए नए सिरे से प्लान बनाया जाएगा। आपको बता दें कि आज 2 दिसंबर है और 2-3 दिसंबर 1984 की मध्य रात्रि में ही यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से जहरीली गैस का रिसाव हुआ था।

- नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च इन एनवायरमेंटल हेल्थ यह स्टडी करेगा। संस्थान के डायरेक्टर डॉ राजनारायण तिवारी ने बताया कि इसके लिए इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च से अनुमति और बजट की स्वीकृति मिल गई है। यह स्टडी शुरू करने के लिए रिसर्च एसोसिएट की भी जल्द नियुक्ति की जाएगी। 
- जरूरत के अनुसार फेंफड़ों और किडनी की अंदरूनी जांच के लिए अत्याधुनिक मशीनें भी खरीदी जाएंगी। क्रॉनिक बीमारियों से जूझ रहे गैस पीडि़तों की इतनी माइन्यूट स्टडी पहली बार होगी। डॉ तिवारी के अनुसार इस स्टडी यह पता लगाया जाएगा कि मिक गैस का इन क्रॉनिक बीमारियों से क्या संबंध है।
- गैस ने रेस्पिरेटरी सिस्टम और किडनी को कैसे प्रभावित किया कि उनमें यह बीमारियां क्रॉनिक बन गईं। इसके साथ इसमें गैस पीडि़तों और सामान्य मरीजों के बीच अंतर भी करने का प्रयास किया जाएगा कि दोनों की इस बीमारी में क्या भिन्नता है। विशेषज्ञों द्वारा कारण पता कर इसे दूर करने के उपाय भी सुझाए जाएंगे।
- यह पूरी रिपोर्ट आईसीएमआर के साथ मध्यप्रदेश शासन को भी सौंपी जाएगी। इसके आधार पर सरकार क्रॉनिक बीमारियों से जूझ रहे गैस पीडि़तों के इलाज और पुनर्वास आदि के लिए नया प्लान तैयार करेगी। इससे हजारों गैस पीडि़तों और उनके परिजनों को राहत मिलने की संभावना है।

एेसे होगी स्टडी
- डॉ. तिवारी के अनुसार गैस पीडि़तों में सबसे ज्यादा लोग सांस संबंधी बीमारियों से पीडि़त हैं।
- कुछ मरीजों की बीमारी क्रॉनिक है। कुछ मरीज क्रॉनिक किडनी संबंधी बीमारी से पीडि़त हैं।
- अभी तक जो स्टडी हुई हैं, वह फेफड़ों की ऊपरी नलिकाओं तक केन्द्रित रही। इसमें मुख्यत: स्पाइरोमीटर से जांच की गई।

- अब क्रॉनिक बीमारियों की जो स्टडी होगी, उसमें अंदरूनी नलिकाओं का विशेष उपकरणों से चेकअप किया जाएगा।

- फेफड़ों की एलविओलाई और ब्रैंकिओल की भी जांच होगी। इसके लिए गैस राहत विभाग के सभी अस्पतालों से क्रॉनिक बीमारियों से पीडि़तों का डाटा लिया जाएगा।
- फेफड़ों, किडनी सहित ब्लड सेंपल और स्वाब की जांच होगी। इसमें क्रॉनिक डिसीज के कारणों का पता कर उसके इलाज का तरीका सुझाया जाएगा।