Oct 4, 2019
सतीश पटेल - पन्ना जिले के पवई में मां कलेही का पवित्र धाम है नवरात्रि आरंभ होते ही मां कलेही के दरवार में भक्तों की भीड़ लगने लगती है। शारदेय नवरात्रि एवं चैत्र नवरात्रि में यहां भक्तों का तांता लगता है। मां कलेही धाम में दूर-दूर से भक्त माथा टेकने माता के दरवार पहुंचते हैं। मां कलेही भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। यहां चैत्र नवरात्रि में पिछले कई वर्षों से विशाल मेला लगता है। मां कलेही मंदिर के सामने से बहती पतने नदी मां कलेही धाम की सुन्दरता में चार चांद लगाती हैं। मां कलेही की प्रतिमा पाषाण प्रतिमा है जो रौद्र रूप में विराजमान है। मां कलेही नौ देवियों में सप्तम् नवदुर्गा कालरात्रि का रूप है, जो अष्टभुजी प्रतिमा है जिसे चित्र में महिषासुर का वध करते दर्शाया गया है। वो अपने हाथों में शंख, चक्र, गदा, तलवार तथा त्रिशूल लिये हैं। प्रतिमा के निचले हिस्से में भगवान शिव माता के चरणों पर हैं।
भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण करती है मां कलेही, दूर-दूर से भक्त पहुंचते है मां कलेही के दरवार में
शास्त्रों के अनुसार असुरों के राजा रक्तबीज को वरदान था कि उसके शरीर से रक्त की जितनी बूंदे जमीन पर गिरेगीं, उतने ही असुरों की उत्पत्ति होती जायेगी। जिसके वध के समय माता काली के क्रोध को शांत करने के लिए भगवान शिव उनके चरणों पर आ गये थे। शिव पर चरण रखते ही माता का क्रोध शांत हुआ था। इसी चित्र के साथ माता कलेही की विलक्षण प्रतिमा पवई में विराजमान है, जो साढ़े तेरह सौ वर्ष पुरानी है, जिसकी स्थापना विक्रम संवत् सात सौ में चंदेल वंश के शासकों में राजा भाऊ के समय की गई थी, जिसका इतिहास सैकडों वर्ष पुराना है। मां कलेही भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण करती हैं इसलिए दूर-दूर से भक्त पहुंचते है मां कलेही के दरवार में। मंदिर का रख-रखाव प्रशासन के जिम्मे है।