Sep 14, 2019
दिनेश भट्ट – भाजपा शासन काल में चंदिया स्मार्ट सिटी बनाने का प्रोजेक्ट तो लाया गया, लेकिन यह प्रोजेक्ट जिले के प्रशासनिक लचर व्यवस्था और रसूखदारों के चलते अभी तक अपने चरम पर नहीं पहुँच सका। दरअसल चंदिया स्मार्ट सिटी बनाने के नाम पर जिस तरह से मकानों को तोड़ना था, उसमें भी यह अधिकारियों की मुंह देखि का शिकार हो गया। जिससे अब चंदिया के व्यापारियों में खासा आक्रोश है, उनका कहना है कि स्मार्ट सिटी के नाम पर बार-बार उन्हीं मकानों को चिन्हित किया जा रहा है, जिसे पहले ही तोड़ा जा चुका है।
स्मार्ट सिटी के लिए पहुँच वालों का नहीं टूट रहा मकान
वैसे तो चंदिया को स्मार्ट सिटी बनाने का प्रोजेक्ट शासन का सराहनीय कदम है, लेकिन प्रशासन के मुंह देखि का शिकार चंदिया स्मार्ट सिटी के लिए तोड़फोड़ करना शासन के ड्रीम प्रोजेक्ट पर गहरा प्रहार है। साथ ही वहां के रहवासियों के मन में इस प्रोजेक्ट को लेकर के शासन के प्रोजेक्ट के खिलाफ द्वेष भावना जागृत कर रही है। जिसे लेकर वे अब बार-बार के तोड़फोड़ से तंग आकर आत्मदाह करने कि चेतावनी दे रहे हैं। हालांकि प्रभारी डूडा अधिकारी का कहना है कि उनके द्वारा मौका मुआयना किया गया है। साथ ही पीड़ित पक्ष से मिलकर उन्हें समझाने का प्रयास किया गया है और समस्या को सक्षम अधिकारी के पास रखकर इसे जल्द ही हल करने का आश्वाशन दिया गया है।
जिम्मेदारों की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल
खैर चंदिया नगर स्मार्ट सिटी बने यह वहां के निवासियों के लिए सुनहरा अवसर है, जिसमें वह कतई रोड़ा नहीं बनना चाहते, लेकिन कुछ प्रशासनिक नुमाइंदों के कारण जिनके लिये यह प्रोजेक्ट लाया जा रहा है। उनके मन में ख़ुशी की जगह दुःख की लहर दौड़ रही है। बहरहाल अब देखना होगा कि प्रशासन आगे क्या कदम उठाता है।








