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खरगोनः कृषि आधारित अर्थ-व्यवस्था में एक बड़ा बदलाव, कृषि उद्यमिता

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Jan 12, 2020

कृषि उद्यमिता वास्तव में मध्य प्रदेश की कृषि आधारित अर्थ-व्यवस्था में एक बड़ा बदलाव ला सकती है, यह कहना है प्रगतिशील किसान संतोष यादव का। वे खरगोन जिले के कसरावद ब्लॉक के अहीर धामनोद में रहते है। उन्होंने हाल ही में कर्नाटक के तुमकुर में प्रधानमंत्री के हाथों कृषि कर्मण पुरस्कार प्राप्त किया। उन्हें 2016-17 के दौरान गेहूँ उत्पादन के लिए यह पुरस्कार मिला है। संतोष यादव के खेत से गेहूँ का उत्पादन 44 क्विंटल प्रति एकड़ आंका गया था। धामनोद में उनकी खेती दस एकड़ में है। यह परिवार के चार सदस्यों के बीच विभाजित है। उनका बड़ा बेटा योगेश 10वीं कक्षा में पढ़ता है जबकि बेटी तनुश्री 8वीं कक्षा में है। वे बताते है कि मेरे पास एक ट्यूबवेल और एक पारंपरिक कुआं है। मेरे खेत के लिए काफी है। इसके अलावा, तीन भैंस, दो बैल और एक गाय है। बैल अभी भी उपयोगी हैं क्योंकि बरसात में मशीनें काम नहीं कर पाती, इन्हीं से काम लेते हैं।

खेती में कुशल श्रमिक का होता जा रहा है अभाव

प्रगतिशील किसान संतोष आगे बताते है कि मेरी मिट्टी की सेहत बिगड़ गई थी, लेकिन समय पर परीक्षण से बड़ी मदद हुई। पोटाश और जिंक की कमियों को समय रहते हटा दिया। मैंने कीटनाशकों का उपयोग नहीं करने की ठान ली है। जब तक बहुत ज्यादा जरूरी न हो जाये। हालांकि यह आसान नहीं है, लेकिन धीरे-धीरे शून्य स्तर हासिल किया जा सकता है। महिला प्रगतिशील किसान श्रीमती शिवलता मेहतो के परिवार में उनके नाम पर कुल 10 एकड़ में से 4.5 एकड़ जमीन हैं। बाकी उसके पति और दो बेटों के नाम हैं। बड़े बेटे ऋषभ मेहतो आरकेडीएफ कॉलेज भोपाल में एग्रीकल्चर में एमएससी कर रहे हैं, जबकि छोटा बेटा अर्जुन महतो सरदार वल्लभभाई पटेल गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक भोपाल में कंप्यूटर साइंस पढ़ रहा है। वे बताती है कि ऋषभ को फार्म मशीनरी में गहरी दिलचस्पी है और वह ट्रैक्टर इंजन की मरम्मत कर सकता है। हालांकि बच्चे अपनी पसन्द के करियर को आगे बढ़ाने के लिए स्वतंत्र हैं लेकिन अगर वे हमारे साथ हैं तो हमें कोई आपत्ति नहीं है।