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बैगाओं को नही मिल रहा लाभ, हक के लिए काट रहे सरकारी दफ्तरों के चक्कर

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Sep 6, 2018

शिवराम बर्मन - देश मे राष्ट्रीय मानव दर्जा प्राप्त बैगा जनजाति के लोग जिसके उत्थान के लिए सरकार सैकड़ो योजनाएं संचालित कर रही है बैगाओं को बचाने उनके भरण पोषण से लेकर उनकी संस्कृति को संग्रक्षित करने के लिए शासन करोड़ो रूपये पानी की तरह बहा रही है लेकिन आदिवासी जिला डिंडौरी जहाँ आदिवासियों सहित बैगाओं की तादात ज्यादा है वहाँ बैगाओं को अपने हक के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

मंगलवार की जनसुनवाई में जिले की ग्राम तितराही, शीतल पानी सहित अन्य गाँवो की सैकड़ो बैगा महिलाएं जिला कलेक्ट्रेट पहुँची। बैगा महिलाओ का आरोप है कि शासन के द्वारा पोषण आहार के लिए दी जाने वाली 1000 रुपये की राशि उंन्हे नही दी जा रही है। आरोप है कि बैगा महिलाओ के द्वारा कई बार इसकी मांग की जा चुकी है लेकिन दफ्तरों में बैठे साहब लोग सुनते ही नही है। 

बैगा महिलाओ ने बताया कि उन्हें बनी मजदूरी करके अपना जीवन यापन करना पड़ता है। जिसके चलते उनकी स्थिति परिस्थिति में सुधार नही आ रहा है। बैगाओं की मुख्य पहचान शरीर मे बने गुदना है जो शरीर के हर अंग में गुदे दिखाई देते है। जो अधिकांशतः जंगलों के भीतर निवास करते है। बैगा महिलाओ और उनके बच्चों के स्वस्थ्य शरीर के लिए प्रदेश की सरकार  के अनुसार विशेष पिछड़ी जाति बैगा परिवारों को कुपोषण से मुक्ति हेतु प्रतिमाह 1 हजार रूपये की आर्थिक सहायता योजना के क्रियान्वयन किया जा रहा है।जिसके संबंध में प्राप्त जानकारी के अनुसार विशेष पिछड़ी जनजाति सहरिया, बैगा एवं भारिया के परिवारों को कुपोषण से मुक्त किये जाने हेतु शासन द्वारा बीड़ा उठाया है।

इस योजना का लाभ लेने हेतु आवेदक मध्यप्रदेश का मूल निवासी होना जरूरी है। यह सहायता उन परिवारों को देय होगी जो विशेष पिछड़ी जनजाति के चिन्हांकित क्षेत्रों एवं चिन्हांकित क्षेत्रों के अतिरिक्त क्षेत्रों में निवासरत हों। ग्राम पंचायत के सचिवों को इस योजना के सफल क्रियान्वयन हेतु जानकारी प्रदान की गई है ताकि प्रत्येक ग्राम की पात्र बैगा महिला को इस योजना का लाभ दिया जा सके एवं प्रत्येक ग्राम से यह प्रमाण पत्र भी लिया जाये कि कोई पात्र बैगा मुखिया महिला योजना के लाभ से वंचित नहीं रहे।