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4 गाँव के हजारों लोगों के लिए मुसीबत बना बालकृष्ण बैराज, जान जोखिम में डालकर रास्ता कर रहे पार

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Sep 25, 2019

संतोष राजपूत : शुजालपुर में भारी बारिश से लबालब हुआ सिंचाई विभाग का बालकृष्ण बैराज 4 गाँव के हजारों लोगों के लिए मुसीबत बन गया है, इस बैराज के गेट बंद होने से पहले ही इन 4 गाँवों की ओर जाने वाला रास्ता जलमग्न हो गया है और लोग टायर ट्यूब पर बनी जुगाड़ की नाव से रास्ता पार कर, जान जोखिम में डाल रहे हैं। शुजालपुर अनुभाग का प्रशासन आँख मूंदे बैठा है, जी हां..

सड़कें हुईं जलमग्न
ये नज़ारा है शुजालपुर के समीप इलाके का, चौंकिए मत, उफान मारता ये पानी कोई नदी या नाला का नही है, ये वो सड़क है जो बावनहेड़ा-उचावद गाँव सहित 4 गाँवों को जोडती है। इस सड़क मार्ग के जलमग्न होने से हजारों ग्रामीण व स्कूली बच्चे अब जोखिम भरी जुगाड़ की नाव में सफ़र करने को मजबूर है। एक महीने पहले इसी बालकृष्ण बाँध पर 3 युवक डूबे थे तो नेताओ-अफसरों ने शव तलाशने से लेकर मुआवजा स्वीकृत कराने में सोशल मीडिया पर वाहवाही लूटी थी लेकिन इसी बाँध के भराव के बाद पानी में डूबी सड़क पर जोखिम झेल रही इन जिंदगियो को संभालने की फुर्सत अब न नेताओं को है और न ही अफसरों को.. 

ग्रामीणों का खतरनाक सफर
देखिये इस खतरनाक सफ़र को... जो शुरू होता है, उन खराब हो चुके टायर के ट्यूब से जिस पर पंचर सुधार के कई पेबंद लगे है...इन ट्यूब को आपस में बाँध लकड़ी के पटियों को ऊपर रख बना दी गयी है वो जुगाड़ की नाव, जो हर रोज यहाँ बच्चो को स्कूल पहुंचाती है, सड़क डूबी देख सरपट दौड़ने वाली बाईक को भी हर बाइक चालक यहां तैराकर दूसरी तरफ ले जाता है, सहारा है सिर्फ जुगाड़ की नाव का। यहाँ जोखिम का ये सफर रात में भी बदस्तूर जारी रहता है। हैरत तो ये है कि ये जुगाड़ की नाव भी बिना पतवार के चल रही है और दोनों किनारों पर बबूल के पेड़ से रस्सी बांधकर इसके सहारे इस नाव को चलाया जा रहा है।

बैराज में पानी भरने से मार्ग हुए जलमग्न
दरसल शुजालपुर के ग्राम भ्याना में नेवज नदी पर 6 करोड़ की लागत से 1 हजार 57 वर्ग किलोमीटर केचमेंट एरिया वाले बालकृष्ण सागर बैराज को बनाने वाले अफसरों ने ये आकलन ही नहीं किया कि बनने के बाद इस बैराज से कौन से मार्ग जलमग्न हो जायेंगे? हाल ही में बैराज भराया तो पहले ही साल में इस बैराज के सभी गेट बंद होने से पहले ही नेवज नदी में आकर मिलने वाले छोटे नदी-नालों का पानी नदी में जाने की जगह वापस रिटर्न होने लगा, इसी वजह से बांध से करीब सवा किलोमीटर दूर बावनहेड़ा-उचावद की ओर जाने वाली सड़क का हिस्सा जलमग्न हो गया है। यहाँ पहली पुलिया पर करीब 8 फीट गहरा पानी भरा हुआ है और ज्यादा बारिश होने पर यहां लगभग 10 फीट गहराई तक पानी जमा होता है। स्कूल की बसे इसी पुलिया पर आकर थम जाती है, बच्चे यही उतार दिए जाते है, फिर कोई अपने नौनिहालों को कंधे पर बैठाकर ले जाता है और कोई जुगाड़ की नाव में सवार कर ले जाता है।

तकलीफ को समझने की जगह आश्वासन का मरहम
जिस बैराज का पानी सड़क पर तांडव मचा रहा है उस बालकृष्ण बैराज का फुल टैंक लेवल 103 मीटर है लेकिन अफसर अब भी खयाली पुलाव पकाकर खा रहे है, तकलीफ को समझने की जगह आश्वासन का मरहम लगा रहे है। यहाँ जिस जगह पुलिया जलमग्न हुई और नाव सरपट रस्सी के सहारे दौड़ रही है, वहां केवल 38 लाख की लागत से नई पुलिया का निर्माण करने की बात अफसर कह रहे है जबकि ग्रामीण कहते है जब गेट बंद होंगे तो यहाँ बड़े पुल से ही समस्या निजात दिला सकेगी छोटी पुलिया नहीं। बहरहाल इन भोले भाले ग्रामीणों को अब भी इन्तजार है कि कोई आएगा और इनकी समस्या देख कुछ करे या न करे लेकिन एक नाव जरुर ला देगा ताकि पतवार से इस सफ़र को कम जोखिम भरा बना सके।