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टीकमगढ़ः बानसुजारा बांध बृहद सिंचाई परियोजना, मिट्टी और पत्थरों से पहाड़ियों को जोड़ने वाली 4 नम्बर शेडिल से पानी का रिसाव

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Sep 13, 2019

राजेश यादव - सूखे की मार झेल रहे बुंदेलखंड को इस समस्या से निजात दिलाने के लिए टीकमगढ़ जिले में बानसुजारा बांध बृहद सिंचाई परियोजना का निर्माण किया गया है। जिसका 5 अक्टूबर 2018 को लोकार्पण भी हो गया था, लेकिन कंक्रीट बांध के पहले मिट्टी और पत्थरों से पहाड़ियों को जोड़ने वाली 4 नम्बर शेडिल से पानी का रिसाव हो रहा है, जो भारी मात्रा में पानी रिस रहा है। जिसके लिए भोपाल से आई एक्सपर्ट की टीम निरीक्षण भी कर चुकी है। लेकिन यह पानी रोक पाना अधिकारियों के लिए सिर दर्द बना हुआ है। जिसे अधिकारी बांध का पानी नहीं बता कर बरसात होने के कारण पहाड़ियों से रिसने वाला पानी बता रहे हैं। हालांकि अधिकारियों ने कहा है कि यह बांध का नहीं है, यह रिसाव दोनों ओर पहाड़ियों से पानी रिस कर आ रहा है।

पानी रिसाव के कारण नदी के किनारे बसे ग्रामीणों को डर बना हुआ

टीकमगढ़ और छतरपुर जिले के बीच में सुजारा गांव में बानसुजारा बांध बृहद सिंचाई परियोजना का निर्माण किया गया है, जो परियोजना 1768.50 करोड़ की लागत से धसान नदी पर बनाई गई है। जिससे टीकमगढ़ जिले के 183 गांवों की 75 हजार हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जानी है। इसके अलावा टीकमगढ़ जिले के 201 गांव एवम छतरपुर जिले के 120 गांवों में पीने का पानी टंकियों के माध्यम से सप्लाई किया जाना है, जो अपने आप में एक बड़ी सिंचाई परियोजना है। इस बांध में 280 एमसीएम पानी भरा जा सकता है, लेकिन अभी इसका भराव फुल नहीं किया जा रहा है, क्योंकि जगह-जगह से हो रहे रिसाव के कारण फुल नहीं भरा गया है। 4 नम्बर शेडिल से पानी रिसाव के कारण नदी के किनारे बसे ग्रामीणों को डर बना हुआ है, कि कही बांध कमजोर तो नहीं बनाया गया है।

मिट्टी और पत्थरों से की गई पिचिंग में सही से काम नहीं होने के कारण जल रिसाव

मिट्टी और पत्थरों से की गई पिचिंग में सही से काम नहीं होने के कारण भारी मात्रा में जल रिसाव हो रहा है। जिससे बांध के आगे एक तालाब निर्मित हो गया है। साथ ही अधिकारी इस पानी को रोकने में नाकाम रहे तो इसे पहाड़ियों से रिसाव का पानी बता रहे हैं। इस संबंध में परियोजना के एक्सक्यूटिव इंजीनियर अनिल दीक्षित ने बताया कि दो पहाड़ियों को जोड़ते समय जब मिट्टी और पत्थरों से बांध बनाया जाता है, जिसमें फ़िल्टर लगाया जाता है। जिससे भी पानी आ सकता है, लेकिन फ़िल्टर से इतनी मात्रा में पानी नहीं आता है, यह पानी साफ आ रहा है, इसलिए बांध को खतरा नहीं है। अगर बांध से पानी आ रहा होता तो मिट्टी में घुलकर आता जिसका रंग मटमैला होता, जिससे बांध फटने या कमजोर होने का खतरा रहता है।