Feb 18, 2017
पेटलावद। नौनिहालों के बेहतर भविष्य के लिये शासन लाखों करोड़ों रुपए खर्च कर भवनों का निर्माण करवा रही है, जिससे बच्चें स्कूल में पढाई कर आगे बढ़ सके। लेकिन यहां पर सरकारी भवनों के स्कूल और संस्थानों में मजदूरों ने डेरा डाल रखा है। अब बच्चें पढाई करने जाएं तो कहा जाएं ? यही नहीं कुछ भवन और भी हैं जिन पर पशुओं ने भी डेरा डालना शुरूकर दिया है। झाबुआ जिले में शिक्षा की गुणवत्ता की पोल इन खबरों से ही खुलने लगी है। इस काम में शिक्षक के साथ जनशिक्षक और संकुल प्राचार्य की लापरवाही दो स्कूलों के करीब 173 बच्चों पर भारी पड़ रहा है। पुरा मामला पेटलावद के मोहनकोट संकुल केन्द्र के ग्राम चेनकावानी और ग्राम गोठ का है।
स्वराज एक्सप्रेस की टीम ने पेटलावद झाबुआ मुख्य मार्ग पर ग्राम पंचायत मोहनकोट का ग्राम चेनकावानी के स्कूलों का निरीक्षण किया तो कई खुलासे सामने आए। कहीं शिक्षक नहीं मिले, तो कहीं स्कूलों में ताला लगा था। स्कूल का नजारा पशुओं के आराम करने का बन गया है। जानकारी के दौरान पता चला कि पिछले कई दिनों से यहा पर कोई भी शैक्षणिक काम नहीं हुए हैं। बच्चें आसपास ही खेलते रहते हैं। स्कूल भवन के अन्दर आराम कर रहे सड़क बनाने वाले मजदूरों ने बताया कि यह भवन खाली था और यहां स्कूल नहीं चलता। इसलिये हम यहां आराम कर रहे हैं। ग्राम के नागरिकों ने बताया कि यहां कोई अधिकारी नहीं आता है। इस वजह से यहां की पूरी शिक्षा बिगड गयी है। पढ़ने के लिए बनाये गये भवन को गोबर से पाट दिया गया है। शिक्षा के अधिकारी 'आल इज वेल 'कह कर मामले को टालते रहते है। अखिर में सवाल भी उठता रहता है कि स्थनीय, तहसील और जिले के अधिकारी क्या कर रहें है। इन की यह कैसी मॉनिटरिंग हैं। जहां पर स्कूल में शिक्षक और बच्चों की जगह मवेशियों ने ही डेरा डाल रखा है।