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कांग्रेस सरकार किसान गोलीकांड की जांच पुनः कराए : ​मृतक किसानों के परिजन

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Jun 6, 2019

बलवंत भट्ट : मंदसौर किसान आंदोलन का वह गढ़ जहाँ हुए आंदोलन ने पूरे देश में आग लगा दी थी। कहीं राह चलते सैकड़ो वाहनों को आग के हवाले कर दिया तो कहीं पुलिस को उनके ही थानों में घेरकर पत्थरबाजी ओर पेट्रोलबम जैसे विस्फोटक फेंके गए। कही ट्रेनें रोक दी गई तो कही पटरियां ही उखाड़ दी। ये तस्वीरें उसी आंदलोन की है जहां जिले के तत्कालीन कलेक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह को भी किसानों के आक्रोश का शिकार होना पड़ा था और आक्रोशित किसानों ने उन्हें मारते हुए वहां से भगाया था। लगातार जिले में कर्फ्यू होने के बाद भी सड़के आग की लपेटें ले रही थी तो पूरा जिला पुलिस और सेना की छावनी बना था। लेकिन आंदलोन थमने का नाम ही नहीं ले रहा था। 1 जून से लेकर 5 जून तक दिन रात आंदोलनकारी ओर पुलिस आमने-सामने ही थी।वहीं 6 जून को खबर आई की आंदोलन कर रहे किसानों पर पुलिस ने फ़ायरिंग कर दी और उसमें 6 किसानों की मौत हो गई।

पूरे देश में आग की तरह फैली आंदोलन की खबर
6 किसानों की मौत के बाद पूरे प्रदेश ही नही बल्की पूरे देश मे इस आंदोलन की खबर आग की तरह फैली और फिर शुरु हुआ सियासी आंदोलन। विपक्ष ने पूरी तरह तत्कालीन शिवराज सरकार को घेर लिया और विपक्षी नेता मंदसौर का रुख करने लगे। राहुल गांधी,कमलनाथ,ज्योतिराज सिंधिया सहित सभी दिग्गजों ने आंदोलन के दौरान मंदसौर आने के प्रयास किये लेकिन सुरक्षा व्यवस्था के चलते उन्हें जिले में नहीं घुसने दिया। आनन फानन में शिवराज सरकार के मृतक किसानों के परिजनों को एक-एक करोड़ के मुआवजे और सरकारी नौकरी देने का ऐलान किया। किसानों की मौत के बाद असल में किसान आंदोलन तो थमने की कगार पर था लेकिन सियासी आंदलोन शुरु हो गया था। किसानों को साधने के लिए खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान भोपाल में धरने पर बैठ गए ओर भावन्तर जैसी योजनाओं की शुरुवात की वही कांग्रेस ने इस आंदोलन को आड़े हाथों लिया और किसानों को न्याय दिलाने का वादा खुद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी मंदसौर आकर कर गए। जिस कर्ज माफी को लेकर प्रदेश में सरकार आई है उसकी घोषणा भी मंदसौर में किसानों को श्रद्धांजलि देने आए राहुल गांधी ने की थी। वही कांग्रेस ने वादा किया था की अगर कांग्रेस की सरकार आई तो किसानों के ऊपर गोली चलाने वाले दोषी अधिकारियों को बिलकुल भी नही बक्शा जाएगा उनके ऊपर किसानों की हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाएगा। तो वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंदसौर में शपथ ली थी की जब तक कांग्रेस की सरकार नही बन जाती वे फूलों की माला नही पहनेंगे।

सियासी दाव पेंच में फंसे शिवराज
सियासी दाव पेचों के बीच समय के साथ-साथ सरकार भी बदल गई।किसानों का आक्रोश शिवराजसिंह चौहान को इतना भारी पड़ा की उनकी मुख्यमंत्री पद की कुर्सी तक चली गई। कांग्रेस की सरकार बनने के बाद कांग्रेस ने किसानों की कर्जमाफी करने की शुरुवात तो कर दी लेकिन किसानों की हालत आज भी वैसी ही है। समय बदल गया सरकार बदल गई पर हालात जस के तस है। जिस फसल के उचित दामों के लिए किसान आंदोलन कर रहे थे न तो वो दाम बड़े और ना ही किसानों ऊपर गोली चलाने वाले दोषियों पर कार्यवाही हुई।तत्कालीन सरकार ने किसान गोलीकांड की जांच कर रहे जेन आयोग को क्लीनचिट दे दी थी। तो वही कोंग्रेस सरकार ने भी अपने शुरूवाती सत्र में जैन आयोग की रिपोर्ट को क्लीन ही करार दिया। हालांकि कांग्रेस सरकार द्वारा दी गई क्लीनचिट से कई कोंग्रेस नेता नाराज थे क्योंकी ज्योतिरादित्य सिंधिया,कमलनाथ सहित कई बड़े दिग्गज नेता किसानों को न्याय दिलाने की कसम मंदसौर की धरती पर खा कर गए थे। 

मृतक​ किसानों के परिजनों का क्या है कहना?
मृतक किसानों के परिजनों को भी आस है की कांग्रेस सरकार किसान गोलीकांड की जांच पुनः कराए और दोषियों पर सख्त कार्यवाही करें। साथ ही अब भी किसानों की वही मांग है की स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू किया जाए जिससे फसलों का उचित दाम मिले। दूध सब्जी सहित किसानों द्वारा निर्मित किये जाने वाली वस्तुओं का भाव बढ़ाया जाए।