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सोहागपुरः एसटीआर में मगरमच्छों का संरक्षण, मगरमच्छों का हुआ सर्वे

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Jun 28, 2019

देवेंद्र कुशवाहा- सतपुरा टाइगर रिजर्व मड़ई में मगरमच्छों का सर्वे किया गया। उनके रहने, खाने-पीने, अंडा देने की गतिविधियों पर नजर रखी गई। साथ ही मड़ई क्षेत्र में कितने मगरमच्छ हैं उनकी गिनती की गई। यह प्रयास मगरमच्छों को बेहतर माहौल देने के लिए किया गया। चंबल से आए विशेषज्ञ ने मगरमच्छ के अनुकूल वातावरण हेतु तवा डैम में जगह-जगह निश्चित किया है, जहां उन्हें अच्छा माहौल मिले। यह जानकारी देते हुए सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के एसडीओ आर. एस. भदौरिया ने बताया कि एक्सपर्ट ने जो जगह चिन्हित की है, वहां पर रेत डाली जाएगी। बरसात के मौसम में मगरमच्छों का यह मिटिंग सीजन रहता है। मगरमच्छ अपने अंडे रेत में ही छुपा कर रखते हैं, जहां सुरक्षित और अनुकूल वातावरण है। एक्सपर्ट ने बताया है मडई में 68 बड़े मगरमच्छ हैं और छोटे की गिनती नहीं हुई है। वर्षा ऋतु के 3 महीनों में मगरमच्छों के सुरक्षित मिटिंग और वंश वृद्धि और रहवास को विकसित करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। यहां का जल और वातावरण इन सभी के अनुकूल है।

मगरमच्छों के रहवास को विकसित करने के हो रहे प्रयास

चिन्हित स्थानों पर रेत डंप की जाएगी। तवा डैम में सिल्ट अधिक है और जगह-जगह मिट्टी में मगरमच्छ रहवास बनाकर रहते हैं, जबकि रेत उनके लिए उपयुक्त होती है। मिट्टी में अंडे रखने पर जानवर या अन्य प्राकृतिक आपदा से वे फूट जाते हैं जो वंश वृद्धि में रुकावट पैदा करती है। रेत में यह सुरक्षित रहेंगे अंडे सुरक्षित होंगे तो निश्चित ही वंश वृद्धि होगी। मगरमच्छ सुरक्षित होंगे तो मड़ई का पर्यटन भी बढ़ेगा। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में प्रतिबंध के दौरान पर्यटकों को 15 अगस्त से वोटिंग कराई जाती है, जहां पर यह जल में रहने वाले मगरमच्छ सहित जीव जंतुओं को देखने का आनंद उठाते हैं। बड़े-बड़े मगरमच्छों को देखकर पर्यटक रोमांचित होते हैं। इससे पर्यटन तो बढ़ेगा साथ ही मड़ई की आय भी बढ़ेगी। सर्वे के दौरान कई जगह मगरमच्छों के फूटे अंडे मिले हैं। इस वर्ष प्रयास किया जाएगा कि मगरमच्छ के अंडे सुरक्षित रहें।