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कम्प्यूटर बाबा के अनगिनत वादे, योजनाओं को लेकर नहीे है कोई खाका

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Apr 13, 2018

नर्मदा संरक्षण के नाम पर प्रदेश के पांच संतों को राज्य मंत्री का दर्जा तो दे दिया लेकिन उनके पास लगता है कोई एक्शन प्लान ही नहीं है। जबलपुर पहुंचे कंप्यूटर बाबा ने मीडिया के सामने नर्मदा संरक्षण को लेकर न जाने कितने वादे जनता से किए लेकिन हैरत इस बात की है कि अब तक उनके पास किसी योजना का खाका भी नहीं है। उन्हें तो यह भी नहीं मालूम की नर्मदा का आंचल मैला करने के लिये कितने नाले जिम्मेदार है। 

शंकराचार्य स्वरूपानंद पर किया पलटवार
कम्प्यूटर बाबा ने शंकराचार्य स्वरूपानंद पर भी पलटवार किया। उनका कहना था कि उन्हें शंकराचार्य पद पर रहते हुए ऐसा करना शोभा नहीं देता। वे खुद सैकड़ों सुरक्षा गार्डों से घिरे रहते हैं बेहतर होगा कि नर्मदा संरक्षण में किये जा रहे कार्यों में वे सहयोग करें।

योजनाओं ​को लेकर कोई खाका नही
कल तक कंप्यूटर बाबा की जुबान से प्रदेश सरकार के खिलाफ अंगारे ही बरसते थे लेकिन अब फूल झड़ रहे हैं। राज्य मंत्री का दर्जा क्या मिला बाबा ने अपने सुर ही बदल दिये। राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त योगेंद्र महंत के साथ जबलपुर पहुंचे कंप्यूटर बाबा से जब नर्मदा के संरक्षण संवर्धन को लेकर योजनाओं का खाका मीडिया ने जानना चाहा तो सिवाय गोल मोल जवाब के उनके पास कुछ भी नहीं था। 

कम्प्यूटर बाबा के पास नहीं है सवालों के जवाब
वृक्षारोपण एवं जनजागरूकता का बयान देकर नर्मदा के प्रति किये जाने वाले वे अपने कार्य गिनाना नहीं भूले लेकिन जब उनसे यह सवाल किया गया कि कितने नाले नर्मदा का आंचल मैला करते हैं तो उन्हें उसकी कोई जानकारी नहीं थी। उन्हें बड़ी तादात तो बता दी लेकिन सटीक जानकारी उनके पास नहीं थी। सवाल यह उठता है कि यही बाबा नर्मदा सेवा यात्रा का घोटाला उजागर करने वाले थे तो उनकी याददाश्त में नालों की संख्या क्या उस वक्त नहीं थी।

कम्प्यूटर बाबा बने राजनीतिक खिलाड़ी
अब तक संत की हैसियत से निर्भीकता से बयान देने वाले कंप्यूटर बाबा मीडिया से बात करते वक्त राजनीति के भी माहिर खिलाड़ी नजर आये। राज्यमंत्री का दर्जा देने के बाद शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद द्वारा की गई आलोचना का भी उन्होंने जवाब दिया। उनका कहना था कि शंकराचार्य को ऐसे पद पर रहते हुये ऐसे बयान शोभा नहीं देते। खुद उनके साथ सैकड़ों की तादात में गार्ड होते हैं बेहतर होगा कि वे भी आगे आकर नर्मदा संरक्षण में उनका सहयोग दें। मीडिया ने जब उनसे प्रदेश में बढ़ रहे महिला अपराधों पर सवाल किया तो बाबा ने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। इतना ही नहीं उनके साथ मौजूद महंद योगेंद्र को भी लगता है इस सवाल से मानो सांप ही सूंघ गया। ऐसा लगा रहा था कि सरकार के खिलाफ अब इन संतों के कान कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है।