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इंदौरः साइबर क्राइम पुलिस ने सायबर छापा मार कर कुल 80 युवक-युवतियों को किया गिरफ्तार 

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Jun 12, 2019

अज़हर शेख- इंदौर स्टेट साइबर क्राइम पुलिस ने एक ऐसे अंतर्राष्ट्रीय ठग गिरोह को पकड़ा है, जो कॉल सेंटर के माध्यम से अमेरिकन नागरिकों से ठगी कर रहा था। अमेरिकन नागरिकों के अवैध गतिविधियों में लिप्त होने की बात कहकर उनका सोशल सिक्यूरिटी नंबर बंद होने की धमकी देकर, उनसे वसूली कर रहा था। पुलिस ने दोनों कॉल सेंटर से कुल 80 युवक-युवतियों को गिरफ्तार किया है।

बसों से भरकर लाये गए ये युवक-युवती पढ़े लिखे और होनहार हैं, लेकिन ये होनहार युवक-युवतियां अपने टेलेंट का इस्तेमाल किसी सही काम में नहीं, बल्कि अमेरिकन नागरिक को ठगने का काम कर रहे हैं। इन सभी को अमेरिकन नागरिकों को ठगने की ट्रेनिंग दी गयी है। बड़ी बात यह है कि ये अमेरिकन एक्सेंट की इंग्लिश ठीक वैसे ही बोलते हैं, जैसे कोई अमेरिकन नागरिक बोल रहा हो। अमेरिकन नागरिकों को कॉल करने के लिए डायरेक्ट इंटरनेशनल डायलिंग और मैजिक जेक मोबाइल एप का इस्तेमाल कर रहे थे।

मुखबिर से मिली सूचना के आधार पर साइबर क्राइम पुलिस ने लिया एक्शन

दरअसल स्टेट साइबर क्राइम पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली थी कि एबी रोड स्थित सी-ट्वेंटी वन मॉल के पीछे स्थित प्लेटिनम प्लाजा और दिव्य क्रिस्टल लाइट नामक बिल्डिंग में ऐसा कॉल सेंटर संचालित किये जा रहा है। जिसके कर्मचारी अमेरिकन नागरिकों से ठगी कर रहे हैं। ठगी करने के लिए ये एक साथ लगभग 10 हजार अमेरिकन नागरिकों को ब्रॉडकास्ट वौइस् मैसेज भेजते हैं, जिसमें अपने आपको विजिलेंस ऑफिसर बताते हुए उनके सोशल सिक्यूरिटी नंबर अवैध गतिविधियों में लिप्त लोगों की सूची में होने और उनका सोशल सिक्यूरिटी नंबर बंद होने की बात कहकर धमकाते हैं। इसके बाद उन्हीं से सेटलमेंट करने की बात भी कहते।

दोनों कॉल सेंटर का संचालन कर रहे थे अहमदाबाद के रहने वाले जावेद और शाहरुख़

सेटलमेंट के नाम पर अमेरिकन नागरिकों से 100 से 500 डॉलर वसूले जाते। ये दोनों कॉल सेंटर अहमदाबाद के रहने वाले जावेद और शाहरुख़ द्वारा संचालित किये जा रहे थे। यहाँ काम करने वाले कर्मचारियों को 22 हजार रूपये नगद सेलरी दी जाती थी और हर ठगी पर 1 डॉलर इंसेंटिव दिया जाता। काम करने वाले अधिकतर कर्मचारी नार्थ ईस्ट इंडिया, नागालैंड, मेघालय, मुंबई, अहमदाबाद और पंजाब के रहने वाले हैं। इन सभी कर्मचारियों के रहने और खाने पीने की व्यवस्था भी जावेद और शाहरुख़ ही करते थे। कर्मचारियों से रात में और अँधेरे में काम करवाया जाता था, ताकि बाहर किसी को यह भनक नहीं लगे कि यहाँ रात में कुछ चल रहा है।

इन ठगों के पास से निकला 10 लाख अमेरिकन नागरिकों का डाटाबेस

ठगी का यह रुपया अमेरिका से चायना होते हुए हवाला के माध्यम से इंदौर आता था। इसकी एवज में हवाला एजेंट्स को 40% रकम तक दी जाती थी। ठगी की यह रकम अमेरिकन नागरिकों से गिफ्ट्स कार्ड बायर, बिटकॉइन और अमेरिकन स्थित बैंक एकाउंट्स में लेते थे। बड़ी बात यह है कि इन ठगों के पास 10 लाख अमेरिकन नागरिकों का डाटाबेस है। पकडे गए आरोपी पहले भी इस तरह के कॉल सेंटर्स में काम कर चुके हैं। मुख्य आरोपी जावेद और शाहरुख़ पहले भी इस तरह के कॉल सेंटर्स संचालित करते थे, लेकिन ये बंद होने के बाद उन्होंने इंदौर में अपना बेस बना लिया, क्योंकि यहाँ काम करना आसान है। पिछले 2 साल से यह कॉल सेंटर संचालित किया जा रहा था। पुलिस का दावा है कि इन्हें सजा दिलवाई जाएगी, इनके खिलाफ धारा 420, 467, 468, 471, 120बी और 66 आईटी एक्ट में प्रकरण दर्ज किया गया है।