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भोपालः मप्र में जानलेवा होता वायु प्रदूषण, लोगों के जीवनकाल में 3.6 वर्ष की हो रही कमी

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Oct 31, 2019

आशीर्वाद एस. राहा - शिकागो विश्वविद्यालय, अमेरिका की शोध संस्था ‘एपिक’ द्वारा तैयार ‘वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक’ का नया विश्लेषण दर्शाता है कि मध्य प्रदेश में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति राज्य के नागरिकों की उम्र औसतन 3.6 वर्ष कम करती है। मध्य प्रदेश के अन्य जिले और शहर के लोगों का जीवनकाल घट रहा है और वे बीमार जीवन जी रहे हैं। अगर भारत अपने ‘राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम’ के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल रहा और वायु प्रदूषण स्तर में करीब 25 प्रतिशत की कमी को बरकरार रखने में कामयाब रहा, तो ‘एक्यूएलआई’ यह दर्शाता है कि वायु गुणवत्ता में इस सुधार से आम भारतीयों की जीवन प्रत्याशा औसतन 1.3 वर्ष बढ़ जाएगी।

वायु की गुणवत्ता विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक को अनुरूप नहीं

दरअसल वायु प्रदूषण पूरे भारत में एक बड़ी चुनौती है, लेकिन उत्तरी भारत के गंगा के मैदानी इलाके में यह स्पष्ट रूप से अलग दिखता है। वर्ष 1998 में गंगा के मैदानी इलाकों से बाहर के राज्यों में निवास कर रहे लोगों ने उत्तरी भारत के लोगों के मुकाबले अपने जीवनकाल में करीब 1.2 वर्ष की कमी देखी होती, अगर वायु की गुणवत्ता विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक को अनुरूप हुई होती। अब यह आंकड़ा बढ़ कर 2.6 वर्ष हो चुका है, और इसमें गिरावट आ रही है, लेकिन गंगा के मैदानी इलाकों की वर्तमान स्थिति के मुकाबले यह थोड़ी ठीकठाक है। वहीं उत्तरी भारत के गंगा के मैदानी इलाकों में निवास कर रहे लोगों को वायु गुणवत्ता में इस सुधार से अपने जीवनकाल में करीब 2 वर्ष के समय का फायदा होगा।

भारत में भी दूषित सूक्ष्म तत्वों और धूलकणों की सघनता है ज्यादा

एक्यूएलआई से संबंधित स्टडी समकक्ष-विशेषज्ञों के मूल्यांकन एवं अध्ययनों पर आधारित है, जिसे प्रोफेसर माइकल ग्रीनस्टोन और सह-लेखकों एवं शोधार्थियों की टीम ने तैयार किया है। इसी क्रम में उन्होंने भारत तथा उन देशों में यह अध्ययन किया, जहां आज प्रदूषित सूक्ष्म तत्वों और धूलकणों की सघनता सबसे ज्यादा है। फिर उन्होंने इन अध्ययनों के परिणामों को विविध क्षेत्रों में बेहद स्थानीय स्तर पर ‘वैश्विक सूक्ष्म प्रदूषक मापदंडों’ के साथ संयुक्त रूप से जोड़ दिया। इससे उपयोगकर्ताओं को दुनिया के किसी क्षेत्र या जिले से संबंधित आंकड़ों पर दृष्टिपात करने का अवसर मिलता है और उनके जिले में स्थानीय वायु प्रदूषण के स्तर से उनके जीवन प्रत्याशा पर पड़ रहे प्रभावों को समझने में मदद मिलती है।