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भिंडः एक ऐसी दिव्यांग शिक्षिका जो समाज के लिए बनी मिसाल, अंजना शर्मा

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Sep 6, 2019

गिरिराज बोहरे - चुनौतियों का मुकाबला डट कर किया जाता है, इस बात की मिसाल पेश कर रही हैं भिंड की एक ऐसी शिक्षक जो पिछले 12 सालों से गठिया रोग से पीड़ित हैं और आज अपने पैरों पर खड़ी तक नहीं हो पाती, लेकिन उन्होंने यह साबित कर दिया है कि इंसान अपने हाथ पैरों से नहीं अपनी मानसिकता से विकलांग होता है और अगर हम चाहें तो अपने दृढ़ मनोबल से अपनी शारीरिक कमजोरी को भी अपनी ताकत बना सकते हैं।

भिंड की रहने वाली एक साधारण परिवार की बहू जिन्हें सब अंजना मैडम के नाम से जानते हैं, अंजना शर्मा पेशे से एक गवर्नमेंट टीचर हैं, जो भिंड के अटेर ब्लॉक में चौकी गांव की प्राइमरी स्कूल में टीचर हैं। 12 साल पहले अचानक गठिया की बीमारी होने से अंजना शर्मा के हाथ पैर काम करना बंद कर गए। वे आज अपने पैरों पर खड़ी भी नहीं हो पाती, लेकिन अपने बुलंद हौसलों के चलते शिक्षा का रास्ता अपनाया हुआ है। वे आज चौकी गांव में बतौर शिक्षक पदस्थ हैं।

पहले से ही पढ़ाने में विशेष रुचि थी

शिक्षिका अंजना शर्मा बताती हैं कि उन्हें पहले से ही पढ़ाने में विशेष रुचि थी। ऐसा लगता है कि सरकारी स्कूल के बच्चे हैं, कुछ पढ़ें, लायक बने, कुछ सीखें और यही प्रयास है कि इस हालत में भी अपने लिए, इन बच्चों के लिए और समाज के लिए कुछ बेहतर कर सकें। इसलिए इतना संघर्ष कर रहे हैं। अंजना मैडम बताती हैं कि उनकी इस हालत में भी पढ़ाई के प्रति रुचि को देखते हुए उनका परिवार और स्कूल स्टाफ भी हमेशा उन्हें सपोर्ट करता है। अंजना मैडम के पति बताते हैं कि बीमारी से उनका जीवन काफी प्रभावित हुआ है। चलने फिरने के साथ ही कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन वह रोजाना समय से स्कूल पहुंचती हैं और बच्चों को पढ़ाती हैं। अंजना मैडम के पति उन्हें बाइक पर स्कूल लेकर जाते हैं और क्लास रूम में जाकर उन्हें बिठाते हैं। स्कूल खत्म होने पर भी वह उन्हें स्कूल से घर लेकर पहुंचते हैं।

मानसिक रूप से भी वह बहुत मजबूत हैं अंजना शर्मा

चौकी शासकीय स्कूल के हेड मास्टर बृजेश कुमार त्रिपाठी बताते हैं कि इतने सारे कष्ट के बावजूद भी अंजना शर्मा पूरी लगन से बच्चों को पढ़ाती हैं। इतना ही नहीं मानसिक रूप से भी वह बहुत मजबूत हैं, क्योंकि जब भी उनसे कहा जाता है कि कोई परेशानी तो नहीं, तो हमेशा उनका जवाब होता है कि उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं है। वह पूरी शिद्दत के साथ बच्चों को पढ़ाती हैं, जो अपने आप में बड़ी बात है। शासकीय स्कूलों में पदस्थ शिक्षक नियमित रूप से स्कूल जाएं, इसके लिए पिछले लंबे समय से जिला शिक्षा केंद्र से मॉनीटरिंग की जा रही है। वहीं दूसरी ओर अंजना शर्मा जैसी शिक्षक अपने आप में एक मिसाल है जो इतने शारीरिक परेशानी के बावजूद हर दिन स्कूल जाकर बच्चों को पढ़ा रही हैं। जिससे उन बच्चों का शैक्षणिक स्तर बेहतर हो और वे अपने भविष्य को बेहतर मोड़ दे सकें।