May 13, 2019
प्रेम सिंह लोधी- जबलपुर से 30 किलोमीटर की दूरी पर बना है सरकारी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, शहपुरा भिटौनी, में जहाँ सुबह समय से नहीं आते है ड्यूटी डॉक्टर। दूर दराज से आने वाले ग्रामीण डॉक्टरों का इंतजार ही करते रह जाते हैं, नहीं मिल पाता इलाज। जबकि सुबह 9 बजे से सभी डॉक्टरों और कर्मचारियों की ड्यूटी रहती है लेकिन कर्मचारी ही नहीं समय से पहुँचते है अस्पताल। जब यहाँ पर डॉक्टरों की अपनी मनमर्जी से आने का समय होता है। दिन में, तकरीबन 11 बजे कभी दोपहर 12 बजे तो किसी दिन 1 बजे भी आते हैं। जब तक किसी मरीज की चाहे जान ही क्यों न निकल जाये। ये है हाल सरकारी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र शहपुरा भिटौनी, का।
एक मैडम डॉक्टर इन्दु राजपूत अपनी प्राइवेट क्लीनिक चलाती हैं
ऐसा पहले भी कई बार हुआ है कि समय पर इलाज न मिल पाने से कई लोगों की जान चली गई है। हार्ट अटैक के मरीज व दुर्घटनाग्रस्त मरीजों को भी समय पर इलाज नहीं मिल पाता है। पीड़ितों ने आरोप लगाया है कि किसी को भी इलाज नहीं मिलता है और ये डॉक्टर अपनी ही मनमर्जी के मालिक हैं। एक मैडम डॉक्टर इन्दु राजपूत अपनी प्राइवेट क्लीनिक चलाती हैं, जो शहपुरा मेन रोड पर खुला है। जहां ये गांव से आये मरीजों का इलाज करती हैं और जो इलाज करके गरीब लोगों से मनचाहा फीस वसूलती हैं। जब कोई इनकी शिकायत करता है, उसकी आवाज दबा दी जाती है। यहाँ के नामी ग्रामी लोगों को अपना रिश्तेदार बता कर धमकाती रहती है डॉ. इन्दु राजपूत। जब से पदस्थ है तभी से ये प्राइवेट क्लीनिक खोलें हैं।
क्वाटरों में न रह क ये डॉक्टर रोजाना जबलपुर से ना-जाना करते हैं
पीड़ित मरीजों ने मीडिया वालों को बताया इस अस्पताल का हाल। जब हमारे स्वराज संवाददाता ने वहाँ अस्पताल जा कर हाल जाना तो अस्पताल में सिर्फ आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. अंशुल अग्रवाल, उपस्तिथ थे और बाकी डॉक्टर नहीं थे। इस अस्पताल में पदस्थ है, डॉक्टर सी.के. अतरौलिया और डॉक्टर इन्दु राजपूत हैं। जबकि रहने के लिये क्वाटर भी बने हैं। लाखों की लागत से बने उन क्वाटरों में डॉक्टर नहीं रहते बल्कि रोजाना जबलपुर शहर से आते हैं। करोड़ों रूपये की लागत से बना है सरकारी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, लेकिन गाँवों से आने वाले मरीजों को नहीं मिल पाता है अच्छा इलाज।