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चित्रकूटः शिकारियों द्वारा करंट लगाकर वन्य प्राणियों का बेखौफ किया जा रहा है शिकार

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May 13, 2019

रामनरेश श्रीवास्तव- मझगवाँ रेंज के अमिरती बीट क्रमांक 108 में शिकारियों द्वारा बाघ के शिकार का मामला सामने आया है। जहां शिकारियों ने तालाब के पास करंट लगाकर बाघ को मौत के घाट उतार दिया। पूरा मामला मझगवां रेंज के दुधमनिया जंगल का बताया जा रहा है, जो फॉरेस्ट चौकी के पास की घटना है। आपको बता दें कि जंगलों में तालाब के किनारे शिकारियों द्वारा जंगली जानवरों का शिकार आए दिन होता रहता है। ये शिकारी करंट लगाकर जंगली जानवरों को मारते हैं। कई बार घटना उजागर होने के बाद भी फॉरेस्ट अमला लापरवाह बना हुआ है। अब हालात यह है कि मझगवाँ जंगल के बाघों पर शिकारियों का खतरा मंडरा रहा है।

मारे गये नर बाघ की उम्र लगभग 3 साल के आसपास

वन अमले के मुताविक 2016 में मझगवां-मारकुंडी के जंगल में एक बाघिन रानीपुर वन्य जीव विहार से आकर डेरा जमाया था। अब इनकी संख्या करीब आधा दर्जन पहुंच गई है, लेकिन बीते साल एक बाघ मझगवाँ स्टेशन के पास ट्रेन की चपेट में आ गया था। अभी भी इस जंगल में करीब 5 बाघ मौजूद हैं। आज जिस बाघ को शिकारियों ने करंट लगाकर मौत के घाट उतारा है, उस नर बाघ की उम्र लगभग 3 साल के आसपास है।

शिकारियों और खनन माफियाओं से मिलीभगत करने वाला वन अमला लापरवाह बना

ज्ञात हो कि वन भूमि और जंगलों की सुरक्षा के मामले में वन विभाग के अधिकारी लापरवाह बने हुए हैं। जंगली जानवरों के शिकार के मामले अक्सर आते रहते हैं। इस मामले में भी वन अमले ने घोर लापरवाही बरती है। जिस तालाब के किनारे शिकारियों ने करंट लगाया हुआ था, वहां पानी पीने दिन रात जंगली जानवरों की चहलकदमी होती है, किंतु उस तालाब को नजरअंदाज करना, वन अमले की कार्यशैली पर सवाल खड़े करता है। इसके अलावा अमिरती और सरभंगा के जंगल किनारे सड़क निर्माण कर रहे ठेकेदारों द्वारा किये जा रहे वन भूमि और पहाड़ों में अवैध उत्खनन भी जंगली जानवरों के दुश्मन बने हुए हैं। खनन माफियाओं से मिलीभगत करने वाला वन अमला लापरवाह बना हुआ है, इसी का नतीजा है कि जिस जंगल में बाघ अपना कुनबा बढ़ाना चाहते हैं, वहां उनके दुश्मन बाघों की प्रजाति को नेस्तनाबूत करने पर तुले हुए हैं।