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इंदौरः आई हॉस्पिटल की बड़ी लापरवाही, मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद गई 11 मरीजों की आंखों की रोशनी

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Aug 17, 2019

दीपिका अग्रवाल- मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद इंदौर आई हॉस्पिटल में 11 मरीजों की आंखों की रोशनी चली गई। कुछ मरीजों को एक आंख तो कुछ मरीजों को दोनों आंखों से दिखाई नहीं दे रहा। ये सभी मरीज 8 अगस्त को राष्ट्रीय अंधत्व निवारण कार्यक्रम के तहत ऑपरेशन के लिए हॉस्पिटल में भर्ती हुए थे। उसी दिन इनके ऑपरेशन हुए। अगले दिन आंखों में दवाई डालने के बाद इंफेक्शन हुआ और मरीजों ने हंगामा शुरू किया, कई मरीज रोने लगे। डॉक्टरों ने चेक किया तो बोले- हमें सब कुछ सफेद दिख रहा। कुछ ने बताया कि उन्हें सिर्फ काली छाया दिखाई दे रही है।

स्वास्थ्य विभाग ने घटना के बाद हॉस्पिटल का ओटी किया सील

इधर, स्वास्थ्य विभाग ने घटना के बाद हॉस्पिटल का ओटी सील कर दिया है। यहां आंखों के ऑपरेशन पर पाबंदी लगा दी है। जांच के बाद इन्फेक्शन का कारण स्पष्ट होने पर कड़ी कार्रवाई की बात कही जा रही है। सैंपल भी जांच के लिए भिजवाए हैं। फुटबॉल खिलाड़ी रहे मनोहर हरोर की बाईं आंख के मोतियाबिंद का ऑपरेशन हुआ। ऑपरेशन के बाद जब दवाई डाली तो उस आंख से दिखना बंद हो गया। एक दिन के ऑपरेशन के लिए अस्पताल आए मनोहर को यहां 10 दिन हो गए हैं। पूरे दिन बिस्तर पर ही रहते हैं।

पहले भी हो चुकी है इस तरह की घटनाएं

इंदौर आई हॉस्पिटल में दिसंबर 2010 में भी मोतियाबिंद के ऑपरेशन फैल हो गए थे, जिसमें 18 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी। इस पर तत्कालीन सीएमएचओ डॉ. शरद पंडित ने संबंधित डॉक्टर व जिम्मेदार कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अनुशंसा की। 24 जनवरी 2011 को अस्पताल को मोतियाबिंद ऑपरेशन व शिविर के लिए प्रतिबंधित कर दिया। ओटी के उपकरण, दवाइयां, फ्ल्यूड के सैंपल जांच के लिए एमजीएम मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायोलॉजी लैब भेजे गए। इसके बाद शिविरों के लिए सीएमएचओ की मंजूरी अनिवार्य कर दी। कुछ महीने बाद अस्पताल पर पाबंदियां रहीं, फिर इन्हें शिथिल कर दिया। 2015 में बड़वानी में भी इसी तरह की घटना में 60 से ज्यादा लोगों की रोशनी चली गई थी।