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चित्रकूटः मौत को दावत दे रहे, बिना डिग्री, डिप्लोमा और अनुभव के से बने झोलाछाप डॉक्टर

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Jun 15, 2019

रामनरेश श्रीवास्तव- चिकित्सकों की कमी व सरकार की उदासीनता के चलते जहां सरकारी अस्पतालों की हालत बदतर हो गई है तो वहीं गांव-गांव में झोलाछाप डॉक्टरों के अस्पताल खुले हुए हैं। एक ओर तो ग्रामीण सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित हो रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर गांव-गांव में दुकान सजाकर बैठे झोलाछाप डॉक्टरों से वह लुटने को विवश हैं। इन झोलाछाप डॉक्टरों के पास न तो कोई डिग्री, डिप्लोमा है और न ही कोई एक्सपीरियंस, लेकिन चित्रकूट और मझगवां की तराई के करीब 300 गांव में 200 से अधिक झोलाछाप डॉक्टरों के अस्पताल बेधड़क खुले हुए हैं। इनमें से कुछ तो जन स्वास्थ्य रक्षक हैं जिन्हें मलहम पट्टी, ओआरएस और पैरासिटामोल देकर मरीज को तत्काल सरकारी अस्पताल रिफर करने के लिए परमीशन दे दी गयी है। बाकी के 80% नीम हकीम झोलाछाप डॉक्टर आरएमपी तक नहीं है, लेकिन भारी भरकम अस्पताल खोलकर दुकान सजाए बैठे हैं जो भोले-भाले ग्रामीणों को लूट रहे हैं।

प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सकों व दवाईयों का अभाव

आश्चर्य की बात यह भी है कि मझगवां और चित्रकूट क्षेत्र में 1 दर्जन से अधिक प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र होने के बावजूद भी वहां चिकित्सक नहीँ हैं और न ही वहां कोई मरीज ही जाते हैं। इसके बाद भी सरकारी स्वास्थ्य अमला सीएमओ से लेकर बीएमओ तक आंखों पर पट्टी बांधे हुए हैं। परिणाम स्वरूप इन झोलाछाप डॉक्टरों की कैद में जकड़े ग्रामीण जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। नवसिखिए झोलाछाप डॉक्टर बिना जांच व जानकारी के ही बड़े से बड़े मर्ज का इलाज करते हैं। यहां तक कि यही झोलाछाप डॉक्टर आए दिनों पीठ पीछे एवार्सन जैसी गतिविधियों को भी अंजाम दे रहे हैं। इसी कारण गांव के ज्यादातर रोगी असमय काल के गाल में समा जाते हैं।

मझगवां जनपद में करीब 200 से अधिक झोलाछाप डॉक्टर कर रहे लोगों के जीवन से खिलवाड़

गौरतलब है कि झोलाछाप नीम हकीमों के मामले में शासन-प्रशासन मूक दर्शक बना हुआ है, क्योंकि मझगवां जनपद में करीब 200 से अधिक झोलाछाप डॉक्टर बैठे लोगों के जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं। इन नीम हकीमों के बारे में स्वास्थ्य अमले के अलावा पूरे जिला प्रशासन को पता है कि ये भोले भाले ग्रामीणों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं पर इसके पीछे का कारण बड़ा ही गंभीर है। बताया जाता है कि यह झोलाछाप डॉक्टर बीएमओ से लेकर सीएमओ तक को मोटी रकम हर माह पहुंचाते हैं। इसी कारण कोई भी इनके खिलाफ कार्यवाही करने से मुंह छुपा रहे हैं। यदि लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे इन झोलाछाप डॉक्टरों पर लगाम नहीं लगाई गई तो स्थिति भयावह होगी और सरकारी अस्पतालों को एक न एक दिन सरकार को बंद करना पड़ेगा।

बिना किसी बीमारी की जानकारी के भारी फीस लेकर कर रहे मरीजों का इलाज

जब हमारे स्वराज संवाददाता ने इन झोलाछाप डॉक्टरों की पड़ताल की तो बड़े ही आश्चर्यजनक जवाब देखने को मिले, यह झोलाछाप डॉक्टर खुद स्वीकार करते हैं कि न तो हमारे पास कोई डिग्री डिप्लोमा है और न ही हमें रजिस्ट्रेशन के बारे में ही पता है। कुछ झोलाछाप तो बीएमओ को जानते तक नहीं है। कुछ नीम हकीमों को न तो खून जांच के बारे में पता है और ना ही किसी मर्ज के बारे में पता है। फिर भी यह अंदाज लगा कर बड़े से बड़े मर्ज का इलाज करते हैं। इन झोलाछाप डॉक्टरों को आरएमपी के सहारे ग्रामीण क्षेत्रों में ओआरएस का घोल पिलाने, पेरासिटामोल देने व मरहम पट्टी के सिवाय और कोई भी परमिशन नहीं है, किंतु देखा गया कि इन झोलाछाप डॉक्टरों के यहां 3 से 5 बेड पड़े हुए हैं और इंजेक्शन, ड्रिप से लेकर बड़े-बड़े मर्ज का इलाज कर रहे हैं। सामान्य तौर पर एक मरीज से 1000 से लेकर ₹5000 तक ये आसानी से खींच लेते हैं। उसकी एवज में उन मरीजों में साइड इफेक्ट का प्रभाव अलग दिखाई देता है।

मझगवां बीएमओ ने कहा झोलाछाप डॉक्टरों पर छापामार अभियान चलाकर कार्यवाही की जाएगी

मझगवां बीएमओ खुद स्वीकार करते हैं कि लगभग तीन सौ गांवों में इतने ही झोलाछाप डॉक्टर हर गांव में बैठे हुए हैं जो मरीजों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस संबंध में  मझगवां एसडीएम से चर्चा हुई है। उनका सहयोग लेकर इन झोलाछाप डॉक्टरों पर छापामार अभियान चलाकर कार्यवाही की जाएगी। एसडीएम ने भी ऐसी ही कार्यवाही की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया।