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सौसरः कपस की फसल पर किसान घाटे पर, व्यापारी किसानों को लूट रहे औने पौने दाम दे कर

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Nov 21, 2019

दिनेश धारपुरे - सौसर क्षेत्र की सफेद सोने के नाम से मशहूर कपास के फसल की खेती पर इस बार बारिश के मौसम का ग्रहण लग चुका है। किसानों के खेतों में कपास के बड़े-बड़े पेड़ तो नजर आ रहे, किन्तु उन पर कपास फल नजर नहीं आ रहा। वैसे ही किसानों का कम उत्पादन हो रहा है, उस पर सरकार उन्हें फसल का उचित मूल्य दिलाने में नाकाम साबित हो रही है। वहीं मौसम की मार के बाद किसान व्यापारियों की मार भी झेल रहा है। फिलहाल व्यापारी किसान के फसल को लगभग 4500 रुपये प्रति किंटल का भाव दे रही है और उसमें भी कपास में नमी होने पर उससे भी कम दाम में कपास की खरीदी कर रहे हैं जिसमें किसान पूरी तरह से ठगा जा रहा है।   

मंडी प्रशासन अब तक नहीं बना पा रहा व्यापारियों पर सरकारी मूल्य पर खरीदी का दबाव

सौसर मंडी बोर्ड के सचिव का कहना है कि सरकार के न्यूनतम रेट लगभग 5500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से पर CCI लगभग 25 नवम्बर से मंडी परिसर में व्यपारी द्वारा खरीदी करेंगी किन्तु CCI भी 12 प्रतिशत से अधिक नमी होने पर कपास की खरीदी नहीं करेंगी, व 8 प्रतिशत तक नमी पर कटौती की जाएंगी। किसानों का कहना है कि नमी मौसम से आती है, हम कोई घर से पानी नहीं डालते। किसानों की स्थिति दयनीय है, CCI की खरीदी में फसल का मूल्य तुरन्त नहीं मिलता। व्यापारी को बेचने पर नगद पैसा मिल जाता है और सभी व्यापारी आपस में रेट तय कर लेते हैं। जिससे किसान को मजबूरी में व्यापारी को फसल बेचना पड़ता है। किसानों की शासन से मांग है कि पिछले साल कपास का मूल्य लगभग 6500 रुपये तक गया था तो CCI इस बार 7000 मूल्य निर्धारित कर ख़रीदी करे अन्यथा किसान की फसल के लागत मूल्य भी नहीं निकल पायेगा। देखना है किसान, व्यापारी व प्रसासन के खेल में क्या निर्णय हो पाता है।