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सिंगरौलीः विस्थापन का दर्द झेलते किसान सड़क, पानी, बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार से हुए वंचित

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Jun 5, 2019

नवीन मिश्रा- विस्थापन का दर्द क्या होता है यह विस्थापित होने वाला ही समझ सकता है। कुछ ऐसा ही मामला कल जन सुनवाई के दौरान दिखा। जहां रिलायंस कंपनी द्वारा कोल एरिया व पावर प्लांट के लिए जमीन अधिग्रहित की गई, लेकिन पुनर्वास नीति का पालन नहीं किया गया। विस्थापितों का आरोप है कि करीब 100 बार जन सुनवाई में आकर अपनी समस्या सुना चुके हैं लेकिन प्रशासन का आदेश भी कंपनी के सामने बौना साबित हो रहा है। दरअसल रिलायंस के द्वारा निकाली गई मिट्टी बारिश के दिनों में बह कर किसानों की जमीन में तकरीबन 3 से 4 फीट तक जमा हो गयी तो वहीं दूसरी तरफ विस्थापितों के स्वामित्व की जमीन पर बिना जमीन अधिग्रहण किए किसानों के जमीन में मिट्टी का ढेर लगा दिया। विस्थापित आज भी सड़क, पानी, बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, के लिए प्रशासनिक अधिकारियों के चक्कर काट रहा है।

रिलायंस कंपनी की ओवर वर्डन मिट्टी से किसानों के खेत हुये तबाह

विस्थापितों ने कंपनी प्रबंधन पर आरोप लगाया है कि पिछले वर्ष रिलायंस कंपनी की ओवर वर्डन मिट्टी उनके खेतों में चली गई थी। जहां किसानों की पूरी खेती चौपट हो गयी। साथ ही उन्हें रहने की भी समस्या आ खड़ी हुई। ऐसे में जिला प्रशासन के हस्तक्षेप पर प्रभावित किसानों को किराए से मकान देने का आदेश दिया। जहां रिलायंस कंपनी प्रभावित किसानों को मकान से किराया उपलब्ध कराते हुए कुछ महीने पैसे दिए लेकिन करीब 5 महीनों से किसानों को मकान का किराया देना बंद कर दिया जिससे किसानों को घर के छत सहित दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं।

रिलायंस से विस्थापित कई लोग आए हैं, जिन लोगों को हमारे न्यायालय से भी काफी आदेश हुआ है और जिला स्तरीय समिति द्वारा पुनर्वास नीति के तहत अनुमोदन प्रभारी मंत्री के द्वारा कराया गया है। उसका भी पालन कंपनी प्रबंधन नहीं कर रही है। कंपनी प्रबंधन का कहना है कि मेरे पास हाईकोर्ट का स्टे है, हां यह अलग बात है कि कार्य जिस गति से होना चाहिए उस गति से नहीं हो रहा है।