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एमपी में राज्यपाल ने मंत्रियों को दिलाई शपथ, इसके बाद हुई कैबिनेट बैठक

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Apr 22, 2020

लंबे इंतजार के बाद अंततः शिवराज सिंह चौहान की कैबिनेट का गठन मंगलवार को हो गया। राजभवन में राज्यपाल लालजी टंडन ने नरोत्तम मिश्रा, तुलसी सिलावट, कमल पटेल, गोविंद राजपूत और मीना सिंह को कैबिनेट मंत्री पद और गोपनीयता की शपथ दिलवाई। कोरोना वायरस के चलते शपथ ग्रहण में शारीरिक दूरी का विशेष ध्यान रखा गया।

मंत्रिमंडल विस्तार में बीजेपी ने सभी खेमे के लोगों को साधने की कोशिश की है। जिन 5 लोगों ने शपथ ली है, वे सभी दिल्ली की पसंद हैं। 5 में से 3 बीजेपी के कद्दावर नेता रहे हैं और 2 लोग सिंधिया कोटे के हैं। शपथ लेने वालों में नरोत्तम मिश्रा, तुलसी सिलावट, कमल पटेल, गोविंद सिंह राजपूत और मीना सिंह शामिल हैं। इसके तुरंत बाद कैबिनेट की बैठक हुई। सीएम शिवराज सिंह चौहान के साथ पूर्व सीएम उमा भारती भी राजभवन में मौजूद थीं।

दरअसल, कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार से सत्ता छीनने के लिए बीजेपी ने जिस तरह एड़ी-चोटी का जोर लगाया था, अलग-अलग गुटों को साथ लेकर चलना उसकी मजबूरी थी। सरकार बन जाने के बाद ये सभी गुट सत्ता में अपने प्रतिनिधित्व को लेकर उतावले हो रहे थे, लेकिन सीएम शिवराज चाहकर भी सभी गुटों को संतुष्ट नहीं कर सकते। ऐसे में पार्टी आलाकमान ने बीच का रास्ता निकाला, जिसमें सभी गुटों को सांकेतिक प्रतिनिधित्व देकर उन्हें साधने की कोशिश की गई है।

गुटों के कैबिनेट की क्या मजबूरी

विपक्षी पार्टियां ही नहीं, बीजेपी के अपने विधायक भी मंत्रिमंडल के गठन में देरी से खुश नहीं थे। विपक्षी पार्टियां आरोप लगा रही थीं कि सत्ता में आने की जल्दी में बीजेपी ने कमलनाथ की सरकार तो गिरा दी, लेकिन अब कैबिनेट का गठन तक नहीं कर पा रही। स्वतंत्र राजनीतिक विश्लेषक भी कोरोना संकट के दौर में प्रदेश में स्वास्थ्य और गृह जैसे महत्वपूर्ण विभागों का मंत्री नहीं होने को लेकर आपत्ति जता रहे थे। राज्य में कोरोना का प्रकोप भी तेजी से बढ़ रहा है। इसलिए शिवराज के लिए कैबिनेट गठन में और देरी करना मुनासिब नहीं था।

कैबिनेट चुनने में शिवराज की नहीं चली?

जिन पांच मंत्रियों ने शपथ ली है उसमें कमल पटेल का नाम चौंकाने वाला है। कमल पटेल पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के खेमे के माने जाते हैं। शिवराज की पिछली सरकार में भी मंत्री रहे हैं। उस दौरान उन्होंने अपनी ही सरकार पर अवैध खनन को लेकर कई तरह के आरोप लगाए थे, जिसके चलते सीएम शिवराज की फजीहत हो चुकी है।

माना जा रहा था कि शिवराज उन्हें कैबिनेट में शामिल नहीं करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया है। इसके अलावा सोमवार शाम तक सीएम शिवराज गोपाल भार्गव और भूपेंद्र सिंह को मंत्री बनाने की कोशिश में जुटे थे, लेकिन इन्हें भी कैबिनेट में जगह नहीं मिली है। यही दोनों नेता हैं जो बेंगलुरु से कांग्रेस के विधायकों का इस्तीफा लेकर आए थे। कैबिनेट विस्तार में इन फैसलों की वजह से सवाल उठ रहे हैं कि क्या मंत्रियों को चुनने में सीएम शिवराज के मन की नहीं चली है।

कौन छूट गया

सिंधिया के साथ कांग्रेस से निकले बिसाहूलाल सिंह, एंदल सिंह कसाना और हरदीप सिंह डंग को बीजेपी नेताओं ने व्यक्तिगत रूप से मंत्रिमंडल में शामिल करने का भरोसा दिलाया था। सिंह और डंग वैसे भी सिंधिया के धुर समर्थकों में नहीं गिने जाते रहे, लेकिन छोटी कैबिनेट के चलते इन्हें भी फिलहाल मंत्री नहीं बनाया गया है।

कांग्रेस ने लिखा, 20 जयचंदों को श्रद्धांजलि

मध्य प्रदेश कांग्रेस ने शिवराज सिंह चौहान के कैबिनेट मंत्रियों की शपथ के बाद ट्वीट कर लिखा, 20 जयचंदों को श्रद्धांजलि। बिकने से मित्रमंडल गया, गलत हाथों में बिकने से मंत्रीमंडल गया।

विवेक तन्खा ने इसे बताया संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन

कांग्रेस नेता विवेक तन्खा ने मंत्रिमंडल गठन के बाद एक बार फिर शिवराज सिंह चौहान पर ट्वीट करते हुए निशाना साधा है। उन्होंने लिखा है, शिवराज जी, कैबिनेट के संबंध में मेरे सुझावों को 'आंशिक' रूप से ही मानने के लिए धन्यवाद 'परंतु'

 

1- संविधान की धारा 164 -1ए के अनुसार न्यूनतम 12 मंत्री होने चाहिए-बीजेपी को संवैधानिक प्रावधानों से परहेज क्यों?

 

2 - पहली बार चारों महानगरों से मूल 'बीजेपी' का प्रतिनिधि नहीं।

 

3 - ऑपरेशन लोटस के महत्वपूर्ण किरदार कैसे छूट गए??

 

4 - वरिष्ठतम नेता और पूर्व एलओपी भी शामिल नहीं।

 

इस आशा के साथ की प्रदेश में मौत का तांडव रुकेगा और हम कोरोना से जंग जीतेंगे।

 

किसको क्या मिला

मंत्रिमंडल में नरोत्तम मिश्रा को शामिल करने पर कोई संदेह नहीं था। कमलनाथ सरकार को गिराने में उनकी भूमिका को देखते हुए शिवराज की सरकार में उन्हें नंबर दो की हैसियत मिलने की पहले से ही संभावना जताई जा रही थी। तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत कैबिनेट में ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट के प्रतिनिधि हैं। सिलावट कमलनाथ की सरकार में स्वास्थ्य और राजपूत परिवहन मंत्री थे। मंत्रिमंडल में जातीय समीकरणों को साधने के लिए गोपाल भार्गव और भूपेंद्र सिंह जैसे वरिष्ठ पार्टी नेताओं की दावेदारी को फिलहाल होल्ड पर रखा गया है।

आइए आपको बताते हैं, कौन हैं ये लोग…

नरोत्तम मिश्रा

नरोत्तम मिश्रा दतिया से विधायक हैं, पूर्व में भी शिवराज के तीनों कार्यकाल में मंत्रिमंडल में शामिल रहे हैं। मध्यप्रदेश में ऑपरेशन लोटस के दौरान इनकी बड़ी भूमिका थी। चौथी बार शिवराज के सीएम बनने के बाद यह चर्चा थी कि यह डिप्टी सीएम बन सकते हैं। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने यह आरोप लगाया था कि विधायकों प्रलोभन नरोत्तम भी दे रहे हैं। ग्वालियर-चंबल संभाग में अच्छी पकड़ रखते हैं।

तुलसी सिलावट

तुलसी सिलावट भी मंत्री पथ के रूप में शपथ ली। सिलावट की गिनती मध्यप्रदेश में सिंधिया के सबसे खास लोगों में होती है। कांग्रेस की सरकार के दौरान जब सिंधिया एमपी में होते थे, तो सिलावट उनके साथ साए की तरह रहते थे। आगर-मालवा क्षेत्र से आते हैं। कांग्रेस से इस्तीफा देकर बीजेपी में आए हैं। कमलनाथ की सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे हैं।

कमल पटेल

कमल पटेल हरदा से विधायक हैं। शिवराज सिंह चौहान के पिछले कार्यकाल में इन्होंने अपनी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। एंटी शिवराज ग्रुप के माने जाते हैं और पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती की करीबी हैं। पूर्व में भी सरकार में मंत्री रह चुके हैं। बताया जाता है कि अब शिवराज के साथ रिश्ते बेहतर हो गए हैं।

 

गोविंद सिंह राजपूत

सिंधिया कोटे से मंत्रिमंडल में दो लोगों को जगह मिली है। गोविंद सिंह राजपूत ने भी मंत्री पद की शपथ ली है। कमलनाथ की सरकार में ये परिवहन मंत्री थे। ओबीसी वर्ग से आते हैं। बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय से भी इनके मधुर संबंध हैं।

 

मीना सिंह

मीना सिंह पार्टी की आदिवासी चेहरा हैं, उमरिया जिले से विधायक हैं। 5 बार की विधायक मीना सिंह को भी शिवराज कैबिनेट में जगह मिली है। वह आदिवासियों और महिलाओं की समस्या को लेकर मुखर रही हैं।गौरतलब है कि शिवराज कैबिनेट के विस्तार में सामाजिक समीकरणों के साथ ही क्षेत्रीय समन्वय का भी ख्याल रखा गया है। लॉकडाउन के बाद पूर्ण मंत्रिमंडल का विस्तार होगा। सभी मंत्री सीएम के साथ बैठक के बाद काम संभाल लेंगे।