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ग्वालियर : मेयर की नियुक्ति पर मचा बवाल

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Oct 19, 2019

विनोद शर्मा : मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में मेयर की नियुक्ति को लेकर बवाल मचा हुआ है तो वहीं इस पर जुबानी जंग शुरू हो गयी है। सांसद विवेक शेजवलकर ने कांग्रेस पर तंस भी कसा है। उन्होनें कहा है कि कांग्रेस की हालत एक अनार सौ बीमार जैसी है जिसके कारण ग्वालियर नगर निगम बिना सेनापति की है, जिसका मुखिया कोई नही है। वहीं कमलनाथ सरकार के कैबिनेट मंत्री प्रद्धुमन सिंह तोमर ने भी सांसद शेजवलकर पर निशाना साधा है। 

मेयर की नियुक्ति को लेकर राजनीति
नगरीय निकाय चुनाव से पहले ग्वालियर में मेयर की नियुक्ति को लेकर एक नई राजनीति शुरू हो गयी है। बीती 25 जून को ग्वालियर के सांसद विवेक शेजवलकर ने सांसद बनने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद कांग्रेस के कई गुट महापौर के पद पर नजर गढ़ाए हुए थे। बकायदा इसके लिए उन्होनें ज्योतिरादित्य सिंधिया से लेकर कमलनाथ तक अपना नाम पहुंचा दिया था। लेकिन महापौर की नियुक्ति तो नही बल्कि एक जनहित याचिका हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में जरूर दायर हो गयी। जिस पर राज्य शासन ने अपना जबाब फाइल किया है। उस पर सांसद विवेक शेजवलकर ने कांग्रेस पर निशाना साधा है।

शेजवलकर के तंज पर कैबिनेट मंत्री का पलटवार
महापौर की नियुक्ति के संबंध में मध्य प्रदेश शासन ने तर्क दिया गया कि नगर पालिका एक्ट की धारा 21 प्रावधान के अनुसार महापौर की नियुक्ति करना अनिवार्य नहीं है। नए चुनाव में भी 6 महीने का भी समय नहीं बचा है। ऐसी स्थिति में महापौर नियुक्त करने की जरूरत नहीं है। लेकिन जब सांसद विवेक शेजवलकर ने कांग्रेस पर तंज कसा तो कमलनाथ सरकार के कैबिनेट मंत्री प्रद्धुमन सिंह तोमर ने कहा है कि सांसद शेजवलकर जी ग्वालियर की इतनी ही चिंता थी, तो महापौर के पद से इस्तीफा देकर क्यों भागे।

महापौर के पद पर जमकर राजनीति
बहरहाल महापौर के पद पर कांग्रेस और बीजेपी की नजर है। बीजेपी का नगर निगम में बहुमत है, इसलिए वे महापौर का पद अपने खेमें में करना चाहती है। जिससे चुनावी वक्त में इससे फायदा लिया जा सके। लेकिन कांग्रेस के पार्षदों के साथ कई और नाम भी है जो महापौर के पद की जुगाड़ में लगे हुए है। ऐसे में महापौर की नियुक्ति फंसी हुई है। जिस पर अब जमकर राजनीति भी शुरू हो गयी है।