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सागर के शासकीय उच्चतर माध्यमिक स्कूल में मध्यान भोजन बना बच्चों के लिए जी का जंजाल

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Jan 29, 2019

मुकुल शुक्ला - शायद भारत सरकार ने सरकारी स्कूलों में मध्यन भोजन प्रणली ये सोच कर शुरू की थी सरकारी स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति ज्यादा से ज्यादा हो और गरीब परिवार के बच्चों को अच्छा खाने के साथ अच्छी पढ़ाई भी साथ साथ मिले लेकिन अक्सर हर स्कूलों में देखा जाता है की जो मध्यान भोजन का मीनू होता वो भोजन कुछ चुनिंदा दिन ही मिलता है और बाकी के दिनों शायद ही नसीब में भी नहीं मिल पाता है।

बच्चे खुद परोस रहे मध्यान भोजन

ऐसे ही मामला सागर के बंडा शासकीय उच्चतर माध्यमिक स्कूल में भी देखने को मिला इस स्कूल में बच्चे तो पड़ने आते हैं लेकिन यहां पर मध्यान भोजन को खुद परोसना पड़ता है और खाना खाने के बाद अपने बर्तन खुद साफ करने पड़ते हैं और इन सबकी जिम्मेदारी मध्यान भोजन वाले समूह और स्कूल स्टाफ की होती हैं।

खाने के बाद बर्तन भी खुद ही धो रहे बच्चे

जब इस संबंध में स्कूल के प्रिन्सपाल से पूछा गया तो उनको जो स्कूल में मध्यन भोजन का कार्य करने वाले समूह के बारे में कोई भी जानकारी नहीं दे सके जब हम ने इन बच्चों से मध्यान भोजन के बारे में पूछा गया तो इन बच्चों ने बताया की हम सभी बच्चों को कभी भी मेनू के अनुसार भोजन नही मिलता है और जो भोजन मिलता है वो खाने के लायक नही होता खाना खाने के बाद हम ही बर्तन साफ करके रखते हैं।