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शारदीय नवरात्रि 2025: घटस्थापना का शुभ मुहूर्त, सही दिशा और पूजा विधि

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Sep 20, 2025

शारदीय नवरात्रि 2025: घटस्थापना का शुभ मुहूर्त, सही दिशा और पूजा विधि

 शारदीय नवरात्रि 2025 की शुरुआत 22 सितंबर से होने जा रही है, जो मां दुर्गा के नौ रूपों की भक्ति और उत्सव का पावन पर्व है। यह दस दिनों तक चलने वाला त्योहार भक्तों के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा, साहस और समृद्धि का प्रतीक है। पहले दिन मां शैलपुत्री से लेकर अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री तक की पूजा की जाएगी। इस लेख में हम आपको घटस्थापना के शुभ मुहूर्त, सही दिशा और पूजा की सटीक विधि के बारे में विस्तार से बताएंगे ताकि आप इस पर्व को पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ मना सकें।

घटस्थापना का शुभ मुहूर्त

शुभ समय:

नवरात्रि का पहला दिन 22 सितंबर 2025 को है, और इस दिन घटस्थापना का सबसे शुभ मुहूर्त सुबह 6:09 बजे से 8:06 बजे तक रहेगा। यदि आप इस समय पूजा न कर पाएं, तो अभिजीत मुहूर्त (11:49 बजे से 12:38 बजे) भी शुभ माना गया है। इसके अलावा, ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:43 बजे से 5:31 बजे तक रहेगा, जो पूजा के लिए अत्यंत पवित्र समय है। इस समय में पूजा करने से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है।

पूजा स्थल और सही दिशा

उत्तर-पूर्व दिशा का महत्व:

घटस्थापना के लिए घर की उत्तर या पूर्व दिशा सबसे उत्तम मानी जाती है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, इन दिशाओं में कलश स्थापना करने से मां दुर्गा का आशीर्वाद आसानी से प्राप्त होता है। पूजा स्थल को स्वच्छ और पवित्र रखें, ताकि नकारात्मक ऊर्जा दूर रहे और सकारात्मकता का संचार हो।

पूजा की सही विधि

आध्यात्मिक तैयारी:

स्नान और वस्त्र: सबसे पहले सुबह स्नान करें और बिना सिलाई वाले स्वच्छ वस्त्र धारण करें। यह पूजा की पवित्रता को बढ़ाता है।

कलश की तैयारी: मिट्टी के छोटे चबूतरे पर सात प्रकार की मिट्टी और बालू मिलाकर आधार तैयार करें। कलश को साफ करें, उस पर स्वास्तिक और सिंदूर लगाएं।

कलश में सामग्री: कलश में गंगाजल, सुपारी, मौली, रोली, नारियल, आम या अशोक के पत्ते, अनाज और किसी पवित्र स्थल की मिट्टी डालें।

अखंड ज्योति: कलश स्थापना के बाद अखंड ज्योति प्रज्वलित करें और पूरे नवरात्रि नियमित रूप से मां की आराधना करें।

दैनिक पूजा: नवरात्रि के प्रत्येक दिन मां के अलग-अलग रूपों की पूजा करें और भोग अर्पित करें।

नवरात्रि का महत्व और कन्या पूजन

नौ दिनों का उत्सव:

प्रत्येक दिन मां दुर्गा के एक विशिष्ट रूप की पूजा होती है, जो भक्तों को शक्ति, समृद्धि और साहस प्रदान करती है। पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा से शुरूआत होती है और नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की आराधना के साथ समापन होता है। दसवें दिन विजयादशमी पर कन्या पूजन का विशेष महत्व है, जिसमें नौ कन्याओं को मां का स्वरूप मानकर उनकी पूजा की जाती है।

Report By:
Monika