Aug 26, 2022
Jabalpur : मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में अन्य पिछड़ा वर्ग यानि ओबीसी आरक्षण मामले में चौथे दिन की बहस अंतिम स्तर पर चल रही है. बहस में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण दिए जाने के फैसले के खिलाफ दलीलें पेश की गईं, जिनमें हर हाल में 50 फीसद आरक्षण की लक्ष्मण रेखा का पालन होने की बातों का भी जिक्र किया गया।
वहीं वकीलों ने अपनी दलीलों में य़ह भी कहा कि ओबीसी आरक्षण पहले की तरह 14 फीसदी रखना ही उचित होगा।
दलीलों के दौरान यह भी बताया गया कि इस सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट के इंदिरा साहनी व मराठा आरक्षण मामले में दिए गए फैसले नजीर हैं, सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 1963-64 में एमआर बालाजी के मामले में कुल आरक्षण को 50 प्रतिशत से कम रखने के निर्देश दिए थे. बाद में फिर 1992 में इंदिरा साहनी के मामले में भी उच्चतम न्यायालय ने यही कहा था कि किसी भी परिस्थिति में कुल आरक्षण 50 फीसद से ज्यादा नहीं होना चाहिए. और अंत में 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण में सभी बिंदुओं पर विचार करने के बाद फैसला दिया था और आरक्षण की 50 फीसदी सीमा में ही तय किया था.
अधिवक्ता पाठक ने कहा कि शिक्षक भर्ती में तो ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण का नियम लागू ही नहीं होता क्योंकि उसकी प्रक्रिया 2018 में शुरू की गई थी. हाईकोर्ट ने सभी तर्क सुनने के बाद 26 अगस्त को भी सुनवाई जारी रखने के निर्देश दिए थे. शासन की ओर से महा अधिवक्ता प्रशांत सिंह, उपमहा अधिवक्ता आशीष बर्नार्ड और विशेष अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर और विनायक प्रसाद शाह की उपस्थित में ओबीसी आरक्षण के समर्थन में उदय कुमार साहू और परमानंद साहू भी पक्ष रखने हाजिर रहे।








