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अस्पताल प्रबंधन की व्यवस्थाएं बदहाल, कांग्रेस अनिश्चितकालीन धरने पर

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May 5, 2018

मध्यप्रदेश का 2018 चुनावी साल है इस साल में कांग्रेसी शिवराज सरकार को घेरने के लिए निकल पड़े है। ऐसे में कांग्रेस के हाथ वाजिब मुद्दे भी लग रहे हैं। ऐसा ही मुद्दा ग्वालियर के पूर्व विधायक प्रद्युमन सिंह तोमर के हाथ लगा है। जिस पर वह सरकार के खिलाफ अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं। दरअसल ग्वालियर के राज्य बीमा कर्मचारी अस्पताल की हालत दयनीय है। अस्पताल में जर्जर बिल्डिंग के कारण मरीज घायल हो रहे हैं, दवाई नहीं मिल रही हैं। ऐसे में अस्पताल प्रबंधन बदहाल व्यवस्थाओं पर अपनी सफाई देने में लगा हुआ है।

अस्पताल की दीवारें हुई जर्जर
ये हाल राज्य बीमा कर्मचारी सरकारी अस्पताल का है। जहां अस्पताल की दीवारें जर्जर हो चुकी हैं, छतों से प्लास्टर गिर रहा है, मरीज घायल हो रहे हैं। बेडों की हालत ये है कि उनकी भी कमरें टूट गयी है, उऩ्हें ईंटें लगाकर सीधा किया जा रहा है। वहीं अस्पताल में मरीजों को न तो पीने का पानी मिल रहा है, न ही 24 घंटे बिजली। ऐसे मेंं अस्पताल में आने वाला मरीज मौजूदा सरकार को जमकर कोस रहा है। ऐसे में कांग्रेस को बैठे-बैठे मुद्दा मिल गया है, तो कांग्रेस के पूर्व विधायक अपने दलबल के साथ अस्पताल में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए है। साथ ही कह रहे है कि वह 8 मई को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का ग्वालियर में घेराव करेंगे।

33 हजार कर्मचारी ईएसआई के दायरे में 
ग्वालियर के राज्य बीमा चिकित्सालय में जिले के 33 हजार कर्मचारी ईएसआई के दायरे में आते हैं। रोजाना 300 की ओपीडी वाले 100 बिस्तर के इस अस्पताल में 70 कर्मचारी व 20 डॉक्टर तैनात हैं। 10 डॉक्टरों के पद अभी खाली पड़े हैं। आप हालातों का अंदाज इससे भी लगा सकते है कि मौजूदा सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया की भतीजी खुद इस अस्पताल में भर्ती है, जिसे इलाज नहीं मिल पा रहा है। जिसको लेकर वह भी सरकार और अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ बोल रही है। 

नेत्र रोगियों को राज्य बीमा चिकित्सालय में किया रैफर
अस्पताल के हालात ये है कि ओपीडी में पहुंचने वाले हड्डी, नेत्र रोगियों को लोको स्थित कर्मचारी राज्य बीमा चिकित्सालय में रैफर किया जाता है। जब मरीज वहां पहुंचता है तो पता चलता है कि अस्पताल में ऑर्थोपेडिक सर्जन, नेत्र रोग विशेषज्ञ ही नहीं हैं। लिहाजा इन बीमारियों के मरीज आने पर या तो जेएएच में या फिर प्राइवेट अस्पताल में रैफर किया जाता है। इतना ही नहीं, आयुर्वेद डॉक्टर का पद लंबे समय से खाली है। स्त्री रोग विशेषज्ञ के पद पर एक डॉक्टर कॉन्ट्रेक्ट पर रखा गया है। वहीं अस्पताल अधीक्षक बदहाल सेवाओं को जल्द ठीक करने का दम भर रही है।

अस्पताल से निकलने वाले कचरे का नहीं है प्रबंधन
अस्पताल की गैलरी की छत से हर रोज प्लास्टर गिरता है, जिससे मरीज घायल तक हो जाते हैं। ईएसआई अस्पताल में स्वयं का इंसीनरेटर लगा हुआ है, लेकिन उसका भी इस्तेमाल नहीं किया गया। अस्पताल से निकलने वाला जैविक कचरा नष्ट कराने की बजाय अस्पताल परिसर में ही इधर-उधर फेंक रहा है। ग्लूकोज की खाली बोतलें, सिरिंज, इंजेक्शन खुले में पड़े देखे जा सकते हैं। ऐसे में ग्वालियर का राज्य बीमा कर्मचारी अस्पताल खुद बीमार है, यहां न तो विशेषज्ञ डॉक्टर तैनात हैं और न ही मरीजों को दी जाने वाली बुनियादी सुविधायें।