Feb 10, 2018
ग्वालियर। भले ही सूबे की शिवराज सरकार विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र अवैध कॉलोनियों को वैध करने की की पुरजोर कोशिश में लग गई हो, बावजूद इसके कॉलोनाइजर अपनी कॉलोनियों को वैध कराने के मूड में नहीं हैं, क्योंकि जो आंकड़े आ रहे है, वो चौंकाने वाले हैं। मसलन प्रदेश में 5 हजार से ज्यादा अवैध कॉलोनियों को चिन्हित कर लिया गया है। लेकिन बीते 8 महीनों में इन कॉलोनियों को वैध कराने में 2 फीसदी भी कॉलोनाइजर ने दिलचस्पी नही दिखाई है।ग्वालियर जिले की बात करें तो यहां सिर्फ 4 आवदेन पहुंचे है। ऐसे में कॉलोनाइजर का कहना है कि सरकार के इस वैध फार्मूले में कई पेंच हैं।
क्या है योजना...
दरअसल शिवराज सरकार ने तय किया है, कि जिन अवैध कॉलोनियों में दस प्रतिशत बसाहट हो और 70 प्रतिशत आबादी निम्न आय वर्ग की हों, उन कॉलोनियों को वैध करने के बाद विकास कार्य के लिए रहवासियों से सिर्फ 20 प्रतिशत पैसा लिया जाएगा। वहीं अन्य लोगों से 50 प्रतिशत पैसा बुनियादी विकास कार्यों के लिए लिया जाएगा। शेष राशि स्थानीय निकाय और राज्य सरकार देगी। नगरीय विकास विभाग ने इसके लिए 45 करोड़ रुपए का बजट भी नगरीय निकायों को दे दिया है। बाबजूद इसके कॉलोनाइजर से लेकर अवैध कॉलोनियों में रहने वाले लोग दिलचस्पी नही ले रहे हैं।
किस संभाग में कितनी अवैध कॉलोनी….
· इंदौर- 1200
· ग्वालियर- 1011
· भोपाल- 770
· जबलपुर- 644
· उज्जैन- 511
· सागर--341
· रीवा- 282
वैध से ज्यादा अवैध कॉलोनियां...
ग्वालियर निगम सीमा में 273 वैध तथा 626 अवैध कॉलोनियां हैं। यानी वैध से ज्यादा अवैध कॉलोनियां हैं। 31 दिसंबर 2016 से पहले बसी कॉलोनियों को वैध करने का पिछले साल सरकार नियम बना चुकी है। इसके तहत राशि जमा करके उन्हें वैध किया जा सकेगा। सरकार वैध करने के लिए नगरीय निकायों पर जोर दे रही है,लेकिन इस बीच सबसे हैरत की बात ये है कि वैध करने का नियम बनने के बाद 626 में से पिछले 8 माह में केवल 4 कॉलोनी के रहवासियों ने ही आवेदन दिए हैं।
वैध(नियमितीकरण का प्रावधान)
·ऐसी कॉलोनियां जिनमें 10 फीसदी मकान बन चुके हैं। इसमें निम्न आय वर्ग यानी 6 लाख रुपए से कम सालाना आय वाले 70 फीसदी लोगों के आवास हैं। ऐसी कॉलोनियों को वैध करने के लिए विकास शुल्क 20 फीसदी रहवासी देंगे और 80 फीसदी राशि निगम की रहेगी।
· ऐसी कॉलोनी जिनमें सामान्य आय वर्ग के लोगों के आवास ज्यादा हैं, उनमें 50 फीसदी अंशदान रहवासियों तथा इतना ही निगम का रहेगा।
·सांसद, विधायक या अन्य कोई जनप्रतिनिधि अपनी निधि से राशि देता है तो वह क्षेत्र के निवासियों का अंशदान माना जाएगा।
पीछे हट रहे लोग...
भले ही शिवराज सरकार ने वैध करने के नियमों का शिथिलीकरण कर दिया है। इसके बाद भी लोग कॉलोनियों को वैध कराने से पीछे हट रह रहे हैं, इस बीच कॉलोनाइजर ये भी सवाल उठा रहे हैं, कि वो निगम के नियमों को मानने को तैयार हैं। लेकिन इन नियमों की आड़ में निगम के कुछ आधिकारी अपनी जेब भी गर्म करने की कोशिश में लग गए हैं। ऐसे में अवैध कॉलोनी को वैध कराने में कॉलोनाइजर दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं।