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मालवा अब धीरे-धीरे बन रहा रेगिस्तान, किसानों के लिए खेती करना हुआ मुश्किल

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Jan 9, 2019

रवि पाटीदार - मालवा की माटी धीर गंभीर पक पक रोटी, डग डग नीर काहवत को चरितार्थ करने वाला मालवा अब धीरे-धीरे रेगिस्तान बनता जा रहा है और इसी का परिणाम है कि घाटों उपर के क्षेत्र में वाटर लेवल 700 -800  फीट से नीचे चला गया है और इसी के चलते किसानों ने अब खेती करना बडा मुस्किल हो रहा हैं जिसके कारण  अब किसानो ने  यहां पर खेती करने का नया तरीका अपना लिया है जब देखा कि घाट  ऊपर के क्षेत्र मे  पानी नहीं है तो इस क्षेत्र के किसानों ने  घाट निचे के क्षैत्र पुंजापुरा उदय नगर आदि स्थानों पर जाकर 15000 से लेकर 25000 बिगा में जमीन किराए पर रखकर  खेती करने पर मजबूर  हैं।

किराए पर खेती लेकर कर रहे किसानी

लगातार पिछले 2 वर्षों से क्षेत्र में हो रही कम वर्षा के चलते हैं कुआं और ट्यूबवेल साथ छोड़ ने लगे हैं इसी के चलते हैं  बागली क्षेत्र के घाट उपर के  किसानों ने घाटं नीचे के पुंजापुरा क्षेत्र में किसानों की जमीन 15 से 24000 बीघा तक एक फसल बोने के लिए किराए पर लेकर  खेती कर रहै हैं इस का मुख्य कारण पानी ही माना जा रहा हैं किसानों का कहना है कि अभी भी पुंजापुरा क्षेत्र में पर्याप्त पानी है और इसी के चलते वहां पर महंगे दाम में किराए पर खेती लेकर उसमें प्याज की फसल लगा रहे हैं।

किसानों की हालत खस्ता

किसानों ने बताया कि पिछले दो-तीन वर्षों से लगातार हो रही कम बारिश के कारण हमारे क्षेत्र के कुआं वा बोर में पानी नहीं होने से किसानों की हालत खस्ता हो रही है इसी के चलते हमने अपने घरों पर खेतों में प्याज का रोप तैयार करके पुंजापुरा क्षेत्र में  खेती किराए पर रख कर करने पर मजबूर है। घाट  उपर पानी की चाह में किसान लाखों रुपए खर्च कर ट्यूबवेल खनन कर आ रहा है।

जमीन का जलस्तर दिन पर दिन हो रहा कम

लेकिन 800 से 1000 फिट गहरा कराने के बाद भी धूल उड़ती नजर आती है जल स्तर का गिरने का मुख्य कारण क्षेत्र में बढ़ा स्टॉप डेम या तालाब नहीं होना ही माना जा रहा है जिससे जमीन का जलस्तर दिन पर दिन नीचे जाता जा रहा है। लेकिन क्षेत्र के जिम्मेदार जनप्रतिनिधि वह अधिकारी आज तक जल संकट दूर करने के लिए कोई कारगर योजना स्थापित  नहीं कर पाए हैं।