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नई शिक्षा नीति-2020 : अब सरकारी और निजी कॉलेजों को किसी यूनिवर्सिटी से मान्यता लेने की जरूरत नहीं...

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Dec 23, 2019

विनोद शर्मा : नई शिक्षा नीति-2020 तैयार कर ली गई है, इसे जनवरी में कैबिनेट बैठक में लाने की तैयारी है। इसका कैबिनेट नोट अंतिम चरण में है। यह देश की तीसरी शिक्षा नीति होगी, जो अगले दो दशकों तक लागू रहेगी। मानव संसाधन मंत्रालय के अफसरों ने बताया कि इसमें 30 देशों की शिक्षा नीति के कुछ अंश शामिल किए गए हैं। इसे अंतिम रूप देने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि ‘शिक्षा नीति ड्राफ्ट-2019’ बनने के बाद करीब दो लाख सुझाव मिले थे। उनमें से भी कई बातें नई नीति में शामिल की गई हैं।

कैबिनेट नोट के अनुसार, सबसे बड़ा बदलाव कॉलेजों की कार्यप्रणाली को लेकर है। सरकारी और निजी कॉलेजों को अब किसी यूनिवर्सिटी से मान्यता लेने की जरूरत नहीं होगी। वे डिग्री भी अब खुद ही देंगे। आने वाले समय में चार संस्थाएं फंडिंग, स्टैंडर्ड सेटिंग, एक्रिडेशन और रेगुलेशन के काम देखेगी। ये संस्थाएं एक-दूसरे के काम में दखल नहीं दे सकेंगी। वही ग्वालियर साइंस कॉलेज के प्राचार्य का कहना है कि जो भी सरकार की नीति होगी उसका हम स्वागत करेंगे। हालांकि इसमें छोटे-छोटे जो कॉलेज हैं, जहां स्टाफ की कमी है, उन्हें कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पडेगा करना पड़ेगा। क्योंकि यूनिवर्सिटी से ही अभी सभी कॉलेजों की मार्कशीट एग्जाम जैसी कई तरह की व्यवस्थाऐ होती हैं। अब देखना यह होगा की सरकार का इस तरह की नीति किस तरह से सफल हो पाती हैं या शिक्षा के स्तर पर इसका कोई असर पड़ेगा।

• कॉलेजों को अब यूनिवर्सिटी से मान्यता लेने की जरूरत नहीं, अपना सिलेबस, अपनी डिग्री होगी।

• मानव संसाधन मंत्रालय के अफसरों ने बताया कि इसमें 30 देशों की शिक्षा नीति के कुछ अंश शामिल किए गए हैं।

• अगले 20 साल के लिए केंद्रीय शिक्षा नीति तैयार, मंजूरीके लिए जनवरी में ही कैबिनेट बैठक में लाई जा सकती है।

• बीएड कॉलेजों की जरूरत नहीं, ग्रेजुएशन के साथ होगी बीएड।