Aug 10, 2019
दशरथ सिंह कट्ठा- मध्य प्रदेश के पश्चिमी आदिवासी अंचल झाबुआ जिले में राज्य सरकार द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए कई योजना बनाई गई हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सकों द्वारा इलाज में लापरवाही के साथ कई मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिलने की वजह से मौत के घाट उतार दिया जाता है। कुछ इसी तरह का मामला झाबुआ जिले के मेघनगर में देखने में आया है, जहां उल्टी-दस्त से पीड़ित ग्राम बेडावली की 50 वर्षीया महिला को मेघनगर शासकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया। डॉक्टर हितेश नायक द्वारा समय पर उचित इलाज व मरीज की जाँच न करने की वजह से पीड़िता महिला को अपनी जान गंवानी पड़ी।
डॉक्टर पर इलाज में लापरवाही व समय पर पीडिता की जाँच ना करने का आरोप
आंखों में आंसू लिए अपनी माँ की यादों में रोता बिलखता बेडावली की रहने वाली मृतका अदा भुरिया के परिजन फिर इस उम्मीद में है कि काश कोई दवाई या इंजेक्शन मृतक माँ अदा भूरिया को जीवित कर दे। लेकिन पीड़ित परिवार को कौन समझाए कि जिस डॉक्टर के हाथों में किसी की जान बचाने की जिम्मेदारी है, वही डॉक्टर अपनी लापरवाही की वजह से किसी माँ की जान ले भी सकता है। परिवार के सदस्यों द्वारा डॉक्टर हितेश नायक पर इलाज में लापरवाही व समय पर पीडिता की जाँच ना करने का आरोप लगाया गया है।
परिजनों ने बताया कि मृतक अदा भूरिया को उल्टी दस्त होने की वजह से बीती रात 9 बजे मेघनगर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती किया गया था। अदा भूरिया की स्वास्थ्य में सुधार ना होने की वजह से रात्रि 2 बजे डॉ हितेश नायक से पीड़िता के चेकअप करने की गुहार हॉस्पिटल के पास बने आवास में जाकर की गई, लेकिन डॉक्टर ने पीड़ित परिवार की एक ना सुनी। डॉ. हितेश नायक द्वारा सुबह मरीज अदा भूरिया को चेकअप करने की बात कही गई। अदा भूरिया का उचित इलाज व डॉ. हितेश नायक द्वारा समय पर जांच ना करने की वजह से सुबह होने से पहले ही उल्टी दस्त से जूझ रही अदा भूरिया ने दम तोड़ दिया। अब इस तरह के लापरवाह डॉक्टर हितेश नायक पर शासन प्रशासन क्या कार्रवाई करेगा, यह तो आने वाला वक्त तय करेगा या फिर गरीब भोले-भाले मासूम आदिवासी इसी तरह से डॉक्टर की लापरवाही से मौत का शिकार होते रहेंगे।