Loading...
अभी-अभी:

विदिशाः जिला अस्पताल बना मरीजों की परेशानी का सबब

image

Jul 22, 2019

दीपश शाह- विदिशा जिला अस्पताल की लापरवाही से आम लोगों को हो रही परेशानी। गर्भवती महिलाओं तक को पलंग नसीब नहीं है। अस्पताल के कॉरिडोर वाले फर्श में तड़पती हुई अपने बच्चे को जन्म दे रही है, वहीं अन्य दूसरे महिला वार्ड पर एक-एक पलंग पर 8-8 महिलाएं बैठ कर अपना इलाज करा रही हैं। जिम्मेदार सिविल सर्जन इतना कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं कि मरीजों की संख्या बहुत है और मेरे पास संसाधन नहीं है। अटल बिहारी वाजपेई शासकीय मेडिकल कॉलेज आधा अधूरा बनकर तैयार है लेकिन इलाज उसमें आज भी संभव नहीं हो पा रहा है।

एक ही पलंग पर 2-3 मरीज अपने नवजातों के साथ

किसी मेले जैसा दृश्य व कुव्यवस्थाओं को देखकर आप अंदाजा लगा लीजिए कि यह विदिशा जिला अस्पताल का स्वास्थ्य विभाग के बेहाल व्यवस्थाओं की कहानी है। जहां गर्भवती प्रसूता खुलेआम उस कॉरिडोर में अपने प्रसव के लिए तरस रही है, जहां से लोगों का आना-जाना, धूल और कचरे भरी व्यवस्थाएं देखी जा सकती हैं, लेकिन जिम्मेदारों की आंखें बंद हैं। आपको यह दृश्य देखकर भी बहुत तकलीफ होगी कि जिस पलंग पर नवजात पैदा हुआ है, उस पर दो-दो प्रसूताएं अपने-अपने नवजातों को अलग-अलग दिशा में लिटा कर अपने बच्चों को बचा रही हैं। एक ऐसा दृश्य देखकर भी तकलीफ होगी जहां प्रसूता के पलंग पर बरसात का पानी छत से टपक रहा है और उसके साथ लोहे की जंग लगी उसी पलंग पर मरीज के ऊपर गिर रही है। लेकिन स्वास्थ्य महकमा आंखें बंद करें अपनी नौकरी और वेतन से अपनी जेब भर रहा है।

प्राइवेट प्रैक्टिस में अपने-अपने क्लीनिक पर व्यस्त रहते हैं डॉक्टर

बाकी का समय मिलता है तो यह जिम्मेदार अपनी प्राइवेट प्रैक्टिस में अपने-अपने क्लीनिक पर भी अपनी दुकानदारी चला रहे हैं। इसी दुकानदारी से आहत एक पीड़ित पति आंसुओं से रो उठा। अस्पताल के कॉरीडोर फर्श पर महिलाएं पड़ी हुई हैं और वह खुद कहती हैं की हम आठ आठ महिलाएं एक पलंग पर बैठकर इलाज करा रहे हैं वही कुछ महिलाएं फर्श पर तड़प रही हैं जिम्मेदार सिविल सर्जन कहते हैं हमारे पास संसाधन नहीं है। हालात ये है कि 17 लाख की आबादी वाले विदिशा जिले के इस मुख्य अस्पताल को लोगो ने बिमार अस्पताल घोषित कर दिया है। जहा पूरे जिले से गम्भीर मरीज़ रिफर हो कर आते है एवं अच्छे इलाज़ की उम्मीद  करते है । परंतु इलाज़ तो दूर उनको पलंग तक नसीब नहीं होता।

अपर्य़ाप्त चिकित्सक और स्टाफ की वजह से अस्पताल की हालत बदतर

आज से 6 साल पहले शिवराज सरकार ने इस अस्पताल को 300 बेड़ेड अस्पताल घोषित कर दिया था परंतु उस हिसाब से ना तो आज तक चिकित्सकों की भर्ती हो सकी, न ही अन्य स्टाफ की। जितने भी चिकित्सक हैं वह भी समय पर अपनी ड्यूटी नहीं करते पाये गये हैं। अगर बात देर रात की हो तो हालत ये है कि मरीज़ आता है, उसकी गम्भीरता देखते हुए डॉक्टर को बुलाया जाता है घर से। जब से नये मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल का निर्माण कार्य शुरु हुआ है तभी से इस अस्पताल की अनदेखी की जा रही है। किसी का भी ध्यान यहां की व्यवस्थाओं पर नहीं जाता है। सभी बडे प्रदेश स्तर के अधिकारी नये मेडिकल कॉलेज का मुआयना करके वहीं के वहीं वापिस चले जाते हैं। अब देखना ये है कि कब तक यह बीमार अस्पताल लाचारी की भेंट चढ़ता रहेगा। कब इस अस्पताल को ऑक्सीजन नसीब होगी।