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उमरियाः मूलभूत सुविधाओं को आज भी तरस रहा प्राथमिक विद्यालय सेवई

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Nov 21, 2019

दिनेश भट्ट - उमरिया जिले से महज 3 किलोमीटर दूर ग्राम सेवई में प्राथमिक पाठशाला सेवई आज भी अपनी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है। कहने को तो यह प्राथमिक विद्यालय है, बावजूद इसके आज भी ना यहां पर खेल का मैदान है और ना ही बच्चों के लिए पानी और शौचालय की व्यवस्था। आज भी विद्यालय के छात्र शौच के लिए नदी नालों का सहारा लेते हैं। वहीं विद्यालय के प्राचार्य की माने तो आज भी यहां पर इस बात का भय सताता है कि शौच के लिए गए विद्यालय के छात्र कहीं जंगली जानवरों का शिकार ना हो जाए।

सड़क निर्माण के लिए तत्कालीन सांसद ने किया था भूमिपूजन

वहीं विद्यालय जाने के लिए कोई सही मार्ग भी नहीं है, जबकि इस पहुंच मार्ग को बनाएं जाने के लिए इसका भूमि पूजन तत्कालीन सांसद ज्ञान सिंह ने किया था। भूमि पूजन के आज 5 वर्ष बीत जाने के बाद भी सड़क निर्माण यहां पर नहीं हो पाया। जिसकी वजह से इस विद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों को आने जाने में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। बरसात के मौसम में तो केवल यहां हवाई जहाज से ही स्कूल तक पहुंचा जा सकता है क्योंकि इन पगडंडी मार्ग में इतना ज्यादा कीचड़ रहता है कि बच्चे बार-बार गिरते और संभलते हैं। जिसकी वजह से इनके कपड़े भी गंदे हो जाते हैं। अब वह बार-बार घर जाकर अपने कपड़े बदल तो सकते नहीं। जिसकी वजह से वह स्कूल नियमित नहीं जा पाते।

वरिष्ठ अधिकारियों से कई बार शिकायतकरने पर भी कोई समाधान नहीं

सेवई के ग्रामीणों का कहना है कि हमको शासन और प्रशासन केवल झूठा आश्वासन देता रहता है। हमारी समस्या का किसी प्रकार से कोई निदान नहीं करता। अभी पिछले समय चुनाव में हमने सड़क नहीं तो वोट नहीं की मांग की थी, लेकिन प्रशासन केवल बरगलाकर हमें भुलावा देता है और कहता है कि आपकी मांग पूरी हो जाएगी। आज भी हमारे गांव में सड़क नहीं है। सरकार कहती है, पढ़ेगा इंडिया, तभी तो बढ़ेगा इंडिया, लेकिन इस तरीके से शिक्षा का उद्देश्य कैसे पूरा होगा। शासन के कुछ नामी लोग सरकार की योजनाओं को इस तरीके से पतीला लगाते हैं कि आज भी सेवई जैसे गांव के लोग इस परिस्थिति में जीने को मजबूर हैं और वहां के बच्चे शिक्षा के अभाव में अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं और अपना भविष्य दाव पर लगा रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि हम इसकी शिकायत कई बार जिले के मुखिया एवं कई वरिष्ठ अधिकारियों से कर चुके हैं। नतीजा सिफर रहा, कोई सुनने को तैयार नहीं है। अब हम अपनी समस्या किसे बताए और सुनाएं।