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मण्डीदीपः रातापानी वन्यप्राणी अभ्यारण्य में बाघ की मौत, पंजे काटकर ले गए शिकारी

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Apr 10, 2019

उपेन्द्र मालवीय- हमेशा जंगल कटाई और शिकार की चर्चाओ में रहने वाला रातापानी अभ्यारण एक बार फिर टाईगर के शिकार की सुर्खियां बटोर रहा है। इस अभ्यारण्य की बिनेका रेंज में 4 महीने में बाघ की मौत की दूसरी घटना है। वही 2018 लास्ट में गौहरगंज रेंज में बाघिन का पंजे कटा शव मिला था। एक साल में यह तीसरे बाघ की मौत हुई है , सभी मौते एक ही तरीके से हुई इससे पहले हुई दो मादा बाघिन के भी शिकारी पंजे काटकर ले गए थे। लगातार हो रही बाघों की मौत चिंता का विषय है लेकिन यह चिंता आपको और हमको है, लेकिन वन्यप्राणियों का संरक्षण करने वाले वन विभाग के अफसर लापरवाह बने हुए है। हर घटना पर पर्दा डालने की कोशिश करते है। 

रातापानी अभ्यारण्य में शिकारी सक्रिय है और इस बात की जानकारी स्थानीय वन अमले को भी है लेकिन बाबजूद इसके वन विभाग की मुस्तैदी सिर्फ कागजों में ही दिखाई देती है। वहीं टाईगर के शव की सूचना मिलते ही वन विभाग में हड़कंप मच गया और भोपाल से STF एवं डॉग्स स्कॉड की टीमें बुलाई गई। 

पूरे मामले में वन विभाग के अधिकारी कुछ भी बोलने से बचते रहे

रातापानी अभ्यारण्य के बिनेका रेंज की बिट बगासपुर में 5 दिन पुराना बाघ का शव है। बाघ के चारों पैर के पंजे कटे हुए हैं और मूंछ के बाल भी नहीं हैं। 5 दिन से बाघ का शव जंगल में ही पड़ा रहा और किसी को भनक तक नहीं लगी। यह साफ तौर पर बताता है कि वन अमला कितना लापरवाह है। जबकि कागजों में नाकेदार से लेकर डीएफओ तक के दौरे दर्शाए जाते है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बताती है। हालांकि इस पूरे मामले में वन विभाग के अधिकारी कुछ भी बोलने से बच रहे है। उधर डॉक्टरों की टीम ने बाघ का पोस्टमार्टम किया और वहीं बाघ का अन्तिम संस्कार कर दिया गया।