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पुलिस को आईना दिखाने गए सामाजिक संगठन को उल्टा पुलिस ने दिखाया आईना

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Feb 22, 2019

फतेह सिंह ठाकुर- आये थे हरि भजन को, ओटन लगे कपास या फिर चोर पर मोर पड़ने वाली कहावत तो आपने सुनी ही होगी, लेकिन क्या आपने इसे हकीकत में कभी होते देखा है। मामला मध्यप्रदेश के जबलपुर का है। जहां प्रदेश में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं को हथियार बना, पुलिस को आईना दिखाने गए सामाजिक संगठन के कार्यकर्ताओ को उल्टा पुलिस ने ही आईना दिखा दिया। जिसके बाद संगठन के कार्यकर्ता खानापूर्ति कर वापस चले गए। दरअसल जबलपुर का सामाजिक संगठन नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच न केवल जनहित के मुद्दों को लेकर लोगों की आवाज़ उठा अदालतों में लड़ाई लड़ने का काम करता है, बल्कि संबंधित विभागों तक लोगों की समस्या पहुंचाता भी है।

एसपी ने नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के कार्यकर्ताओं को सिखाया सबक

इसी कड़ी में कल प्रदेश में बढ़ते सड़क हादसों पर लगाम लगाने की मांग को लेकर नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के कार्यकर्ता मध्य प्रदेश पुलिस के मुखिया के नाम जबलपुर एसपी को एक ज्ञापन देने पहुंचे थे। एक्सीडेंट के बढ़ते आंकड़ों का हवाला देते हुए जैसे ही कार्यकर्ताओ ने पुलिस को लोगों व कानून का डर दिखा, यातायात नियमों का पालन कराने की सीख दी। वैसे ही जबलपुर पुलिस के मुखिया हरकत में आ गए और उन्होंने सबसे पहले कार्यकर्ताओं से उनकी गाड़ियों की जानकारी लेते हुए हैलमेट मांग लिया। पहले तो कार्यकर्ताओं ने हैलमेट होने से इंकार कर दिया। इसी बीच एक कार्यकर्ता कहीं से जुगाड़ कर हेलमेट लेकर आ गया। जिस पर कार्यकर्ता के सामने एसपी अमित सिंह ने अपने ही ऑफिस में हेलमेट को जैसे ही पटका। उस हेलमेट के टुकड़े टुकड़े हो गए। फिर क्या था, एसपी अमित सिंह ने सामाजिक संगठन के कार्यकर्ताओं को ट्रैफिक नियमों का पाठ पढ़ाने में देर नहीं की। पुलिस कप्तान से मुंह की खाने के बाद कार्यकर्ता बिना देर किये दबे पैर ज्ञापन देकर चलते बने।

ट्रैफिक नियमों की जागरूकता घर से ही परिजनों को शुरू करनी चाहिए

इस गंभीर मुद्दे पर एसपी अमित सिंह का कहना था कि ट्रैफिक नियमों की जागरूकता घर से ही परिजनों को करनी चाहिए, साथ ही हेलमेट गुणवत्ता वाला इस्तेमाल करना चाहिए। इससे न केवल सड़क दुर्घटनाओं में कमी आएगी बल्कि लोग भी जागरूक होगें। वहीं सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ताओं का कहना था कि मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा साल 2018 में यातायात नियमों की जागरूकता लाने हेतु 12 करोड़ रुपये खर्च किये गए थे लेकिन साल 2018 के आंकड़ों ने पुलिस के जागरूकता अभियान की पोल खोल कर रख दी है। बीते साल मध्य प्रदेश में 55 हजार सड़क दुर्घटनाएं हुई है जिसमें 11 हजार से ज्यादा लोगों को जान गंवानी पड़ी है। इस लिहाज़ से रोजाना 32 लोगों की सड़क दुर्घटनाओं में मौत हुई है। आंकड़ों के मुताबिक़ सड़क दुर्घटनाओं में इंदौर पहले, राजधानी भोपाल दूसरे और जबलपुर का नंबर तीसरा है। इसकी सबसे बड़ी वजह जान जागरूकता की कार्यवाई का सही तरीके से न होना है।