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स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में टेंडर घोटाले का हुआ पर्दाफाश, जानिए पूरी खबर

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May 17, 2018

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट और नगरीय निकायों के प्रोजेक्टों में घोटाले समाने आने लगे है। इसी कड़ी में एक घोटाला ग्वालियर नगर निगम से समाने आया है, जिसमें ग्वालियर शहर के साइन बोर्ड के टेंडर में घोटाला समाने आया है। मसलन शहर में 50 से ज्यादा प्रमुख सड़कों पर साइन बोर्ड लगाने का ठेका स्मार्ट सिटी ने भी दे दिया है और नगर निगम ने यानि की एक काम को, अब सरकार की दो एजेंसियां करेंगी। जब स्वराज एक्सप्रेस के पास ये दस्तावेज हाथ लगे, तो मेयर ने कमिश्नर को तलब किया वहीं विपक्ष इस घोटाले पर निगम और स्मार्ट सिटी कंपनी को घेर रहा है।  

ग्वालियर नगर निगम के अर्बन डवलपमेंट विभाग ने बीते मार्च महीने में शहर में रोड साइन बोर्ड लगाने का टेंडर जारी किया था। इसके तहत शहर में 400 से अधिक लोहे के एंगल पर बोर्ड, 50 दिशा व स्थान सूचक बोर्ड और 29 बड़े रोड साइन बोर्ड लगाए जाने थे। निगम ने इसका ऑफसेट मूल्य 19.95 लाख रुपए निर्धारित किया था। इस टेंडर प्रक्रिया में चार फर्मों ने भाग लिया। गत 25 अप्रैल को सभी फर्मों के लिफाफे खोले गए। इसमें नया पेंच यह है कि इन्हीं कामों को स्मार्ट सिटी के तहत कराया जा रहा है। जिस पर विपक्ष निगम और स्मार्ट सिटी कंपनी पर निशाना साध रहा है, उसके मुताबिक कई ऐसे काम है, जिन्हें पैसों के खातिर दोनों ही एंजेसियां करा रहे है।

स्मार्ट सिटी के काम का निगम ने निकाला टेंडर 
1. इसमें जैनी लेक एंड मार्क्स ने 34.44 प्रतिशत कम पर 12 लाख 94 हजार 180 रुपए में काम लेने का ऑफर दिया था। दूसरे नंबर पर पंकज बंसल ने 25.99 प्रतिशत कम पर 14 लाख 61 हजार 697 रुपए का ऑफर भरा था।

2.तीसरे नंबर पर सांई कंस्ट्रक्शन रही। इस फर्म ने 16.51 प्रतिशत कम पर 16 लाख 48 हजार 927 रुपए का टेंडर भरा था और चौथे नंबर पर प्रेसलर्स इंफ्रा लिमिटेड रही थी।

3.इस फर्म ने 16.11 प्रतिशत कम पर 16 लाख 56 हजार 827 रुपए में काम करने पर सहमति दी थी। 

ऐसे में अफसरों ने फर्म को वर्क ऑर्डर जारी करने के लिए फाइल नगर निगम आयुक्त विनोद शर्मा के समाने पेश की। जिसमें गड़बड़ झाला उजागार हो गया। आनन-फानन में मेयर विवेक शेजवलकर ने निगम आयुक्त को इस मामले में तलब किया है। साथ ही टेंडर प्रक्रिया पर रोक लगाने के आदेश भी जारी कर दिए है। क्योंकि शहर में साइन बोर्ड लगाने का काम ग्वालियर स्मार्ट सिटी डवलपमेंट कॉर्पोरेशन द्वारा किया जा रहा है। इसके लिए संबंधित एजेंसी को भी वर्क ऑर्डर जारी हो चुका है।  

विवेक शेजवलकर, मेयर ग्वालियर का कहना है कि ये आधिकारी कमिश्नर के होते है, मैने कमिश्नर को बुलाया है ये शिकायत मेरे पास भी आय़ी है, काम पर रोक लगा दी।

नेताप्रतिपक्ष नगर निगम ग्वालियर, कृष्णराव दीक्षित का कहना है कि नगर निगम और स्मार्ट सिटी में बड़ा गडबड़ झाला हो रहा है एक साल से ये हो रहा है, अभी साइन बार्ड में भी टेंडर घोटाला समाने आय़ा है लोकायुक्त को इऩके खिलाफ मामला दर्ज करना चाहिए।

बहरहाल ग्वालियर नगर निगम के अफसरों ने बिना किसी जरूरत के 40 लाख रूपए से ज्यादा के रोड साइन बोर्ड की टेंडर प्रक्रिया कर दी। इसके लिए ठेकेदार फर्मों से ऑफसेट राशि जमा कराकर लिफाफे भी खोल लिए गए। अब ऐसे में देखना होगा, इस काम को कौन सी एजेंसी कराती है क्योंकि इन्हीं साइन बोर्ड को लगाने का ठेका स्मार्ट सिटी ने भी दिया है।