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सतनाः 3890 की आबादी वाले तिघरा खुर्द गांव में नहीं है आवाजाही का रास्ता

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Sep 30, 2019

वरूण शर्मा - आधुनिक युग में लोग जान जोखिम में डालकर बरसात के मौसम में किस तरह जुगाड़ के साधन से जीवन यापन कर रहे है। यह देख सकते हैं मध्यप्रदेश के सतना स्थित तिघरा खुर्द गांव में जहाँ अनोखा झूला रूपी पुल देखने को मिलेगा। जिसे लकड़ी से बनाया गया है। इस पुल की मजबूती के लिये लोहे की तार से इस पुल को दोनों तरफ बाँधा गया है। ये तस्वीर है सतना जिले के मैहर स्थित तिघरा खुर्द गांव की जहां 3890 की आबादी वाले इस गांव के लोग इसी पुल से होकर आते जाते हैं। गांव वालों की जान पर शामत तो तब आ जाती है जब गांव के समीप से होकर निकली टमस नदी बाढ़ में होती है। लकड़ी का पुल सहित पूरा एरिया पानी में डूब जाता है और ग्रामीण गांव में ही कैद रह जाते हैं। अत्यंत आवश्यक कार्य पड़ने पर ग्रामीण लकड़ी के पुल पर बँधी लोहे के तार पर चढ़कर एक तरफ से दूसरी तरफ का रास्ता तय करते हैं। ऐसे में जिंदगी कब मौत का स्वरूप ले ले, यह नहीं कहा जा सकता।

ग्रामीणों ने लकड़ी व लोहे की तार से एक झूले रूपी पुल का किया है निर्माण

इतना ही नहीं, इसी लकड़ी के पुल से चलकर छात्र छात्रायें, बाईक सवार, साइकिल सवार व ग्रामीण निकलते हैं पर यह इनके द्वारा उत्साहित होकर या करतब दिखलाने के लिये नहीं किया जा रहा। बल्कि मजबूरी है जो कि आजादी के बाद कितनी सरकारे बनी और बिगड़ी पर आज तलक एक पुल गांव को नसीब नहीं हो सका। गांव को मुख्य मार्ग पर जोड़ने के लिये रपटे के ऊपर एक अदद पुल की जरूरत है जो कि आज तलक नहीं बन सकी है। ग्रामीणों ने लकड़ी व लोहे की तार से एक झूले रूपी पुल का निर्माण कर रखा है। जिससे होकर हर दिन गांव के बच्चे क्या, बूढ़े क्या, नौजवान सभी का आना जाना होता है। गांव के रोजगार सहायक मनोज पटेल से बात की गई तो उन्होंने बताया कि गांव में पुल बनने के लिये सेंसन हो चुकी है पर निर्माण कार्य अभी शुरू नहीं हो सका है। यहां बाढ़ में बहुत खराब हालत हो जाती है लोग गांव में ही कैद हो जाते हैं।

जनपद सीईओ जल्द ही पुल बनाने की बात कह रहे

गांव चारों तरफ पहाड़ों से घिरा है, लकड़ी का झूला पुल बना है। उस पुल के चार-पाँच फिट ऊपर से पानी बहता है। ऐसे में बच्चे स्कूल नहीं जा पाते। 2 से 3 शिक्षक गांव के बाहर से स्कूल पढ़ाने आते हैं पर वह नहीं आ पाते। गांव के कुछ बच्चे अमदरा पढ़ने जाते हैं जो कि वह भी नहीं जा पाते। बरसात के दिनों में जान जोखिम में डालकर लोग एक तरफ से दूसरी तरफ आते जाते हैं। पूरे मामले पर जनपद सीईओ से बात की गई तो उन्होंने बताया कि वहाँ 50 साल पुराना पुल है। जो जनसहयोग से बना था उसी पुल से गांव के आते जाते हैं। बरसात के दिनों में ओवर फ्लो हो जाता है, जिससे दिक्कत होती है। हमने नाप करवा प्रस्ताव मंगवाया है जिसे जिले में भेजेंगे और कोशिश करेंगे कि जल्द पुल निर्माण कार्य हो सके। बहरहाल, तिघरा खुर्द गांव के निवासी बीते 50 सालों से एक पुल की दरकार पर टकटकी लगाए बैठे हैं। अब देखने वाली बात होगी कि और कितने साल तक इस पुल को झेलना होगा।