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50 से 60 रूपये किलो का टमाटर अब बिक रहा कोढ़ियों के भाव!

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Mar 14, 2018

चोइथराम मंडी इंदौर संभाग की सबसे बड़ी मंडी है और यहां पर काफी दूर दूर से किसान अपनी  फसलों को अच्छे दामों पर बेचने के लिए लाते है यहां पर टमाटर की जमकर आवक हो रही है और उसके कारण इंदौर में टमाटर के भाव एक रूपये किलो तक भी आ गए थे।

किसानों को नहीं मिले उनकी मेहनत के परिणाम
मध्यप्रदेश सरकार किसानो की हर सम्भव मदद करने का प्रयास कर रही है चाहे बात फसलों को खरीदने से लेकर बेचने तक की करें और बात अगर इंदौर में किसानो की करे तो उनकी फसलों को उनकी मेहनत के मुताबिक़ पैसे नहीं मिल रहे है ऐसे ही हाल इन दिनों इंदौर की चोइथराम मंडी में किसानो के देखने को मिल रहे है इस साल किसानो ने टमाटर की जमकर खेती की और टमाटर की फसल भी अच्छी हुई और उसी के कारण इंदौर की मंडी में जब किसान टमाटरों को बेचने के लिए लेकर आया तो उन्हें टमाटर के वह भाव नहीं मिले जो उन्हें मिलना चाहिए थे। 

ज्यादा आवक के कारण एक से दो रूपये किलो में बिका ​टमाटर
बताया जा रहा है कि एक दो दिन से इंदौर की चोइथराम मंडी में इंदौर के अलावा दूर दराज और आपस के किसान भी टमाटर को बेचने के लिए लेकर आये थे काफी अधिक तादाद में टमाटर जब इंदौर की मंडी में पहुंचा तो जो भाव 50 से 60 रूपये किलो टमाटर का था वह भाव ज्यादा आवाक होने के कारण मंगलवार को एक से दो रूपये किलो में बिका वही यदि बुधवार की बात करे तो वही टमाटर 10 से 15 रूपये किलो में इंदौर की चोइथराम मंडी में बिक रहा है।   इतने कम दामों पर अपनी फसल बिका देख कुछ किसान उन टमाटरों को मंडी में ही फेंक कर ही चले गए। साथ ही बताया जा रहा है कि टमाटर की फसल को सींचने में ही इतने से अधिक रूपये लग जाते है और यदि उतने भी रूपये उस फसल से नहीं मिले तो किस तरह से आगे की फसल उगाई जायेगी।

ग्राहकों का क्या है क​हना
वही मंडी में खरीदारी करने आई महिलाओ ने बताया कि जिस तरह से टमाटर और अन्य सब्जियों के भाव कम हो रहे है वह काफी राहत भरा है। और इससे जो किचन की महगाई लगातार बढ़ रही थी उससे कुछ हद तक राहत मिली। और इतने कम दामों में सब्जी मिल रही है तो ज्यादा से ज्यादा सब्जी खरीद कर ले जा रहे है।

मंडी समिति के पास भी नहीं थी कोई व्यवस्था
जब इतनी अधिक आवाक में टमाटर का इंदौर की चोइथराम मंडी में आ गया तो मंडी समिति के पास भी किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं थी कि उन टमाटरों को वेयर हाउस या उन्हें खरीदकर उन टमाटरों को केचप बनाने वाली कम्पनी को दे दिया जाए, वहीं जो संस्थान केचप बनाने का काम करते है वह भी सीधे खेतो से ही टमाटर की खरीदारी कर लेते है जिसके कारण वह मंडियों से खरीदारी नहीं करते। अतः अब किसान इन सब व्यवस्थाओं को दुरस्त करने के लिए बड़ा आंदोलन भी इंदौर मंडी समिति के खिलाफ आने वाले समय में किसान कर सकते है।