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उमरिया की आदिवासी महिला को मिली अंतराष्ट्रीय पहचान, इटली में लगी चित्र प्रदर्शनी

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Oct 3, 2019

दिनेश भट्ट : उमरिया जिले की एक अनपढ़ आदिवासी महिला के चित्रों की इटली में प्रदर्शनी लगने से जिले को अंतराष्ट्रीय पहचान मिली है। इटली के मिलान शहर में 11 अक्टूबर तक यह प्रदर्शनी चलेगी। 60 साल की उम्र में ब्रश पकड़ने की शुरुआत करने वाली बुजुर्ग आदिवासी महिला ने महज 20 साल में कमाल कर दिखाया है। उपलब्धि के लिए जिला प्रशासन ने जोधइया बाई का सम्मान किया है। वहीं जनजातीय मामलों के जानकारों ने आदिवासी कला संस्कृति के विस्तार के लिए सरकार से मदद मांगी है।  

जोधईया बाई अंतराष्ट्रीय कलाकार 
बता दें कि नाम जोधईया बाई बैगा,उम्र 80 साल,शैक्षणिक योग्यता शून्य,निवास उमरिया जिले का छोटा सा गाँव लोढ़ा लेकिन उड़ान आसमान से भी ऊँची बस इतना सा बायोडाटा है। जोधईया बाई का जो अब अंतराष्ट्रीय कलाकार हो गई है और उनके हाथों से उकेरे गये चित्र आज दुनिया के मशहूर चित्रकार लियोनार्दो द विंची के देश इटली में रंग बिखेर रहे हैं। जोधईया बाई के चित्रों की धाक ऐसी कि मिलान शहर में आयोजित इस प्रदर्शनी के आमंत्रण पत्र का कव्हर पेज भी जोधईया बाई की पेंटिंग से रंगा हुआ है। दुनिया में नाम होने पर खुशी किसे नहीं होती लेकिन दुर्भाग्य देखिए जोधईया बाई का कि जीवन के संघर्ष ने उसे भले ही अन्तर्राष्ट्रीय कलाकार बना दिया हो लेकिन उसकी दुनिया आज भी अपने हालात तक सीमित है और उसे इटली का नाम भी सिर्फ इसलिए पता है क्योंकि सोनिया गाँधी वहीं की रहने वाली है।

 जोधईया बाई की उड़ान अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर 
80 की उम्र में जब लोगों की उम्मीद दूटने लगती है। तब जोधईया बाई की उड़ान अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर शुरू हुई है। खासबात तो यह कि इसके लिए जोधईया बाई ने कोई कोशिश नही की बल्कि उसकी कलाकृतियां ही ऐसी थी जिससे प्रभावित होकर लोगों ने उसे वहां तक पंहुचा दिया। इसके पहले जोधईया बाई की चित्रकारी मध्यप्रदेश के जनजातीय संग्रहालय,शांति निकेतन,नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा,मानस संग्रहालय में भी सम्मानित हो चुकी है साथ ही कला के कद्रदान कई विदेशी भी उनके लोकचित्र ले जा चुके हैं। जोधईया बाई के गुरु और जनगण तस्वीरखाना के संचालक आशीष स्वामी जोधईया बाई की कला के कायल तो है ही जोधईया बाई में उन्हें आज भी विलक्षण प्रतिभा नजर आती है।